वर्चुअल रियलिटी चश्मे से ये अहसास कराया गया कि व्यक्ति का शरीर कहीं और है। वैज्ञानिकों ने वह रास्ता खोज निकाला है जिससे व्यक्ति ख़ुद को शरीर से अलग महसूस करता है।
साइंसपत्रिका में प्रकाशित इस शोध के अनुसार हर दस में से एक व्यक्ति इसका अनुभव कर सकता है और विज्ञान के आधार पर इसका स्पष्टीकरण दिया जा सकता है। यूनिवर्सिटी कॉलेजए लंदन और लुसान स्थित स्विस फ़ेडरल इंस्टीच्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों की टीमों ने वर्चुअल रियलिटी चश्मे के इस्तेमाल से मस्तिष्क को ऐसा अहसास कराया कि जैसे शरीर और ही कहीं हो।
दृष्टि भ्रम और उनके शरीर को छूने के अहसास से लोगों को ये महसूस हुआ कि वह अपने शरीर से बाहर निकल आए हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि उनकी इस खोज के कई व्यवहारिक फ़ायदे हो सकते हैं, मसलन वीडियो गेम को वास्तविकता का जामा पहनाया जा सकता है। इसमें वीडियो गेम खेलने वाला ये महसूस करने लगेगा कि वह ख़ुद उस खेल में शामिल है।
इसके अलावा मीलों दूर बैठा सर्जन भी रोबोट के माध्यम से मरीज़ का आपरेशन कर सकता है।
कुछ व्यक्तियों के लिए ये अनुभव एकदम ही जो जाता है लेकिन कुछ लोगों में ये अनुभव बहुत ख़तरनाक़ परिस्थितियों में होता है, यानी मृत्यु के करीब होने, स्वप्न की स्थिति या फिर शराब या नशीले पदार्थों के सेवन के बाद की स्थिति जैसा।
अनुसंधान के दौरान लुसान स्थित स्विस फ़ेडरल इंस्टीच्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने शोध में हिस्सा ले रहे लोगों को वीडियोदर्शी चश्मा पहनकर कैमरे के सामने खड़ा होने को कहा था।
इस शोध से संकेत मिलता है कि मस्तिष्क के वो सर्केट जो दृष्टि संबंधी
और स्पर्श संबंधी जानकारी से जुड़े हैं उनके अलग.अलग से काम करने के कारण ऐसा अनुभव हो सकता है।