देहरादून। उत्तराखंड में महिलाओं के आरक्षण को लेकर फिलहाल सरकार असमंजस में है, स्थिति यह है कि राज्य सरकार जहां सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर करने पर विचार कर रही है तो वहीं, इससे पहले रोजगार से लेकर दाखिलों तक में दिक्कतें आ रही है।
उत्तराखंड में हाईकोर्ट के निर्णय के बाद महिलाओं के 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर रोक लगा दी गई है। राज्य में विभिन्न भर्तियों से लेकर दाखिलों में महिलाओं को मिलने वाले लाभ पर इसका सीधा असर पड़ रहा है। खास बात यह है कि फिलहाल लोक सेवा आयोग से लेकर मेडिकल चयन बोर्ड समेत विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में दाखिलों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। बता दें कि राज्य सरकार पर महिलाओं के आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने का दबाव है और इसीलिए सरकार विशेष अनुमति याचिका दायर करने की तैयारी कर रही है। हालांकि, सरकार अध्यादेश लाने को लेकर भी विचार कर रही है। साथ ही कैसे इस मामले में आगे बढ़ा जाए इसके लिए न्यायिक सलाह ली जा रही है।
उधर, राज्य में एमबीबीएस, एमडी, एमएस, नर्सिंग और पैरामेडिकल के दाखिले में भी महिला आरक्षण पर रोक के बाद दाखिले को लेकर प्रबंधन असमंजस में है और इसके लिए शासन से सुझाव भी मांगे गए हैं। खास बात यह है कि हाल ही में राज्य लोक सेवा आयोग ने भर्तियों के लिए कैलेंडर भी जारी किया था, लेकिन इसके बाद इन पर आरक्षण रोस्टर किस तरह लागू किया जाए इसको लेकर बड़ी परेशानी दिखाई दे रही है। क्योंकि, राज्य में महिला आरक्षण पर लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। ऐसे में बिना महिला आरक्षण के रोस्टर जारी किया जाता है तो इसका विरोध हो सकता है, जबकि हाईकोर्ट की रोक के बाद महिलाओं को फिलहाल आरक्षण नहीं दिया जा सकता।
वहीं, सवाल केवल दाखिलों और राज्य लोक सेवा आयोग का ही नहीं है, बल्कि मेडिकल के लिए चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड में भी असिस्टेंट प्रोफेसर और मेडिकल कॉलेजों में दूसरे स्टाफ समेत आयुष विभाग में भी इसकी वजह से भर्तियां लटक गई है। ऐसे में सरकार के अगले निर्देशों के बाद ही भर्तियों पर आगे कदम बढ़ाया जा सकता है। ऐसे में सरकार के लिए इस मामले में कोई भी फैसला ले पाना थोड़ा मुश्किल दिखाई दे रहा है।