केदारनाथ विधानसभा में होने जा रहे उप चुनाव बहिष्कार की चेतावनी
रुद्रप्रयाग। आशा स्वास्थ्य कार्यकत्री एवं फैसिलिटेटर संगठन ने न्यूनतम मानदेय देने सहित अन्य मांगों को लेकर कलक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन किया। साथ ही अपर जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर केदारनाथ विधानसभा में होने जा रहे उप चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी। इस दौरान आशा वर्करों को उक्रांद कार्यकर्ताआें ने अपना समर्थन दिया।
सोमवार को आशा वर्कर एवं फैसिलिटेटर जिला कलक्ट्रेट परिसर में एकत्रित हुई और प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए मुख्यमंत्री को खूब खरी खोटी सुनाई। आशा स्वास्थ्य कार्यकत्री संगठन की जिलाध्यक्ष कमला राणा ने कहा कि लम्बे समय से आशा वर्कर न्यून वेतनमान 18 हजार दिये जाने की मांग कर रही हैं।
आशा वर्करों से काम ज्यादा और मानदेय ना के समान दिया जा रहा है। जबकि ग्रामीण इलाकों की स्वास्थ्य सेवाएं आशा वर्करों के जिम्मे है। आशा वर्करों का शोषण किया जा रहा है। कोरोना महामारी में आशाओं ने अपनी जान की परवाह किये बगैर दूसरों की जान को बचाया।
जिले में 365 आशा वर्कर और 18 फैसिलिटेटर हैं, जो दूरस्थ इलाकों में जाकर स्वास्थ्य सेवाएं दे रही हैं। आशा वर्कर कुसुम देवी ने कहा कि आशा वर्करों का चिकित्सकों की ओर से भी उत्पीड़न किया जा रहा है। उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है। ब्लॉक ऊखीमठ अध्यक्ष गीता नेगी ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में कार्य करना मुश्किल हो रहा है।
सरकार की ओर से मिल रहे वेतन से बच्चों का लालन-पालन सही से नहीं हो पा रहा है। आशा वर्करों के बच्चे कुपोषित होते जा रहे हैं। ब्लॉक अध्यक्ष अगस्त्यमुनि ललिता देवी ने सरकार पर आशाआें के उत्पीड़न का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आगामी दिनों में होने वाले सरकार के किसी भी कार्यक्रमों में आशा वर्कर हिस्सा नहीं लेंगे। साथ ही आगामी केदारनाथ विधानसभा उप चुनाव का बहिष्कार भी किया जाएगा। आशा फैसिलिटेटर की अध्यक्ष दुर्गा करासी ने कहा कि आज के समय महंगाई इतनी बढ़ गई है कि मजदूरी की दिहाड़ी भी आठ सौ रूपए है, जबकि फैसिलिटेटर को इस हिसाब से कुछ भी नहीं दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि फैसिलिटेटर को लाइव लोकेशन के तहत कार्य करना को कहा जा रहा है, जबकि कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां नेटवर्क की सुविधा नहीं है। ऐसे में लाइव लोकेशन पर कार्य करना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा कि जल्द ही मांगों पर कार्यवाही नहीं की गई तो प्रदेश सरकार के खिलाफ आंदोलन के साथ ही केदारनाथ विधानसभा में होने जा रहे उप चुनाव का बहिष्कार किया जाएगा।