निकाय चुनाव की अधिसूचना में देरी की संभावना
नैनीताल । राज्य सरकार द्वारा नैनीताल उच्च न्यायालय में दी गई ताजा दलील से एक बार फिर से निकाय चुनाव के और दूर जाने के संकेत मिलने लगे हैं।
राज्य सरकार ने 15 दिनों के भीतर जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशों के आधार पर ओबीसी से जुड़े आरक्षण की अधिसूचना जारी करने का वायदा किया है। इससे साफ हो गया है कि राज्य स्थापना के अगले दिन निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होनी की संभावना खत्म हो गई है। इससे पहले सचिव शहरी विकास ने दस नवंबर को निकाय चुनाव का कार्यक्रम घोषित करने के कई बयान दिए थे।
गौरतलब है कि रुद्रुपुर निवासी रिजवान अंसारी ने उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार 2011 की जनगणना के अनुसार निकायों में आरक्षण निर्धारित कर रही है। जबकि 2018 के निकाय चुनाव इसी आधार पर सम्पन्न कराए गए थे। लेकिन वर्तमान समय मे पहाड़ के बजाय प्रदेश के मैदानी इलाकों में ओबीसी का वोट बैंक बढ़ा है। इसलिए ओबीसी समिति की रिपोर्ट के आधार पर उन्हें 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाय। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि आरक्षण को लेकर राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। आपत्तियों का निस्तारण हो चुका है।
बृहस्पतिवार को इस मामले की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की संयुक्त खंडपीठ में इस मामले की सुनवाई हुई। इससे पहले बुधवार की सुनवाई पर न्यायालय ने राज्य सरकार से ओबीसी आरक्षण को तय करने के लिए जस्टिस वीएस वर्मा कमेटी की रिपोर्ट न्यायालय में तलब की थी। इस रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार के अधिवक्ताओं ने कहा कि राज्य सरकार नया विधेयक लाने के साथ ही ओबीसी आरक्षण का अध्यादेश जारी कर देगी।
इस मामले में यह भी उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले शहरी विकास सचिव ने राज्य स्थापना के अगले दिन निकाय चुनाव का कार्यक्रम घोषित हो जाने का भरोसा दिया था। अब सरकार की ताजा दलील से लग रहा है कि फिलहाल सरकार जल्दी निकाय चुनाव करने के लिए तैयार नहीं है। दिसंबर पहले सप्ताह के बाद पहाड़ों में सर्दी में इजाफा हो जाएगा। जनवरी तक सर्दी बढ़ती जाएगी। ऐसे में निकाय चुनाव के समय पर होने पर संशय बढ़ गया है।