दो ग्रीष्म गुजरे, मगर राजधानी में सरकार की गतिविधि रही शून्य
देहरादून।ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को लेकर पूर्व सीएम व वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने सरकार को आड़े हाथ लिया है। उन्होंने कहा है कि इस घोषणा के बाद यह तीसरा ग्रीष्मकाल चला गया है, लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री एक रात भी वहां नहीं रुके। रावत ने कहा है कि वे बार-बार इस मुद्दे को उठाते रहेंगे। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखी एक पोस्ट में इस मुद्दे को उठाया है। उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड से बड़े वादे, उनमें एक वादा गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का भी है। ग्रीष्मकाल फिर बीत रहा है, यह इस घोषणा के बाद वह भी विधानसभा में घोषणा के बाद तीसरा ग्रीष्मकाल है। जिसमें गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाना तो छोड़िये, मुख्यमंत्री ने एक रात वहां बिताना भी मुनासिब नहीं समझा है। रावत आगे लिखते हैं कि सरकार का प्रतीक वहां कोई बैठता नहीं है। एक दिन भी रात रहकर वहां मंत्रिमंडल ने विचार-विमर्श नहीं किया है।
मुख्य सचिव, प्रमुख सचिवगण वहां गये भी हों, ऐसा कोई समाचार उन्होंने देखा भी नहीं है। इससे और बड़ा अपमान राज्य की जनता का उसके मान-सम्मान की प्रतीक विधानसभा के पटल का और क्या हो सकता है कि घोषणा ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की और एक के बाद एक ग्रीष्म काल बीत रहे हैं। मगर सरकार है कि उस घोषणा पर अमल करने को तैयार नहीं है। लोगों से कह रही है, भूल जाओ। रावत ने आगे लिखा है कि उन्होंने तय किया है कि वे इस मुद्दे को सरकार को भूलने नहीं देंगे। इनको याद दिलाने वे एक बार फिर 14 जुलाई को गैरसैंण जाएंगे, क्योंकि 15 तारीख के बाद ग्रीष्म काल समाप्त हो जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी है कि इस दिन वे सरकार के प्रतीक एक कार्यालय में सांकेतिक तालाबंदी कर उत्तराखंड के लोगों के आक्रोश को ध्वनि प्रदान करेंगे।
देहरादून।ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को लेकर पूर्व सीएम व वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने सरकार को आड़े हाथ लिया है। उन्होंने कहा है कि इस घोषणा के बाद यह तीसरा ग्रीष्मकाल चला गया है, लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री एक रात भी वहां नहीं रुके। रावत ने कहा है कि वे बार-बार इस मुद्दे को उठाते रहेंगे। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखी एक पोस्ट में इस मुद्दे को उठाया है। उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड से बड़े वादे, उनमें एक वादा गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का भी है। ग्रीष्मकाल फिर बीत रहा है, यह इस घोषणा के बाद वह भी विधानसभा में घोषणा के बाद तीसरा ग्रीष्मकाल है। जिसमें गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाना तो छोड़िये, मुख्यमंत्री ने एक रात वहां बिताना भी मुनासिब नहीं समझा है। रावत आगे लिखते हैं कि सरकार का प्रतीक वहां कोई बैठता नहीं है। एक दिन भी रात रहकर वहां मंत्रिमंडल ने विचार-विमर्श नहीं किया है।
मुख्य सचिव, प्रमुख सचिवगण वहां गये भी हों, ऐसा कोई समाचार उन्होंने देखा भी नहीं है। इससे और बड़ा अपमान राज्य की जनता का उसके मान-सम्मान की प्रतीक विधानसभा के पटल का और क्या हो सकता है कि घोषणा ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की और एक के बाद एक ग्रीष्म काल बीत रहे हैं। मगर सरकार है कि उस घोषणा पर अमल करने को तैयार नहीं है। लोगों से कह रही है, भूल जाओ। रावत ने आगे लिखा है कि उन्होंने तय किया है कि वे इस मुद्दे को सरकार को भूलने नहीं देंगे। इनको याद दिलाने वे एक बार फिर 14 जुलाई को गैरसैंण जाएंगे, क्योंकि 15 तारीख के बाद ग्रीष्म काल समाप्त हो जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी है कि इस दिन वे सरकार के प्रतीक एक कार्यालय में सांकेतिक तालाबंदी कर उत्तराखंड के लोगों के आक्रोश को ध्वनि प्रदान करेंगे।