निदेशक समेत सभी विपक्षियों का जवाब तलब, अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद
नैनीताल। यूकेएसएसएससी भर्ती घोटाले के अब ऋषिकेश एम्स का भर्ती घोटाला भी नैनीताल उच्च न्यायालय पहुंच गया है। न्यायालय ने ऋषिकेश एम्स में विभिन्न पदों की भर्ती में हुई अनियमितताओं के मामले में एम्स निदेशक समेत सभी विपक्षियों का जवाब तलब कर दिया है। न्यायालय ने जवाब देने के लिए छह सप्ताह का समय दिया है।बुधवार को यह जवाब तलब ऋषिकेश निवासी आशुतोष शर्मा की एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की संयुक्त खण्डपीठ ने किया। याचिकाकर्ता का कहना है कि केन्द्र सरकार की ओर से दिल्ली एम्स की तर्ज पर ऋषिकेश में एम्स की स्थापना की गयी है। संस्थान में पदों को भरने के लिए स्पष्ट आरक्षण दिया गया। लेकिन प्रो रविकांत के कार्यकाल में अन्य पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जाति, जनजाति की सीटों की भर्ती में 32 डाक्टरों की नियुक्ति बिना प्रक्रिया पालन किए अपने परिजनों व करीबी लोगों को नियुक्ति दे दी गयी।
नैनीताल। यूकेएसएसएससी भर्ती घोटाले के अब ऋषिकेश एम्स का भर्ती घोटाला भी नैनीताल उच्च न्यायालय पहुंच गया है। न्यायालय ने ऋषिकेश एम्स में विभिन्न पदों की भर्ती में हुई अनियमितताओं के मामले में एम्स निदेशक समेत सभी विपक्षियों का जवाब तलब कर दिया है। न्यायालय ने जवाब देने के लिए छह सप्ताह का समय दिया है।बुधवार को यह जवाब तलब ऋषिकेश निवासी आशुतोष शर्मा की एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की संयुक्त खण्डपीठ ने किया। याचिकाकर्ता का कहना है कि केन्द्र सरकार की ओर से दिल्ली एम्स की तर्ज पर ऋषिकेश में एम्स की स्थापना की गयी है। संस्थान में पदों को भरने के लिए स्पष्ट आरक्षण दिया गया। लेकिन प्रो रविकांत के कार्यकाल में अन्य पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जाति, जनजाति की सीटों की भर्ती में 32 डाक्टरों की नियुक्ति बिना प्रक्रिया पालन किए अपने परिजनों व करीबी लोगों को नियुक्ति दे दी गयी।
याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि निदेशक प्रो रविकांत की पत्नी डा. बीना रवि को अवैध ढंग से सर्जरी विभाग में बतौर संविदा प्रोफेसर नियुक्त कर दिया गया। प्रो. रविकांत के बहनोई की भी विजिटिंग फैकल्टी के तौर पर नियुक्त कर दी गयी। यौन उत्पीड़न जैसे आरोप के चलते उन्हें दो साल में ही छोड़कर जाना पड़ा। जनहित याचिका में निदेशक के करीबी दोस्त एसपी अग्रवाल को भी बिना किसी साक्षात्कार व प्रक्रिया के सर्जिकल ओंकोलॉजी विभाग में तैनात कर दिया गया। जब इसकी शिकायत केन्द्र सरकार व सीईसी से की गयी तो उनकी शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच करने की मांग की है।