कालेज प्रबंधन ने दिया वर वधु को आशीर्वाद
हरिद्वार। ज्वालापुर स्थित पंडित पूर्णानन्द तिवारी लॉ कालेज का एक छात्र बारात से सीधे नवविवाहिता पत्नि व अन्य परिजनों के साथ परीक्षा देने कालेज पहुंचा और परीक्षा देने के बाद घर के लिए रवाना हुआ। परीक्षा संपन्न होने तक दुल्हन और परिजन वर का इंतजार करते रहे। श्यामपुर गाजीवाली निवासी एलएलबी पंचम सेमेस्टर के छात्र तुलसी प्रसाद उर्फ तरूण जोशी की बारात पांच फरवरी को हरियाणा के हिसार में बरवाला गांव गयी थी।छह फरवरी को तुलसी प्रसाद की पंचम सेमेस्टर की परीक्षा होनी थी। विवाह की रस्में पूरी करने के बाद दूल्हे के रूप में सजाधजा तुलसी प्रसाद नवविवाहिता पत्नि सिद्धि जोशी, अपनी बहन और बहनोई के साथ सजीधजी कार से हिसार से सीधे कालेज पहुंचा। कालेज में ड्रेस कोड लागू होने की वजह से उसने प्राचार्य अशोक कुमार तिवारी से वर के लिबास में ही परीक्षा देने की अनमुति मांगी। छात्र की मजबूरी को देखते हुए प्राचार्य ने उसे परीक्षा देने की अनुमति दे दी। परीक्षा देने के बाद छात्र तुलसी प्रसाद घर के लिए रवाना हुआ।
हरिद्वार। ज्वालापुर स्थित पंडित पूर्णानन्द तिवारी लॉ कालेज का एक छात्र बारात से सीधे नवविवाहिता पत्नि व अन्य परिजनों के साथ परीक्षा देने कालेज पहुंचा और परीक्षा देने के बाद घर के लिए रवाना हुआ। परीक्षा संपन्न होने तक दुल्हन और परिजन वर का इंतजार करते रहे। श्यामपुर गाजीवाली निवासी एलएलबी पंचम सेमेस्टर के छात्र तुलसी प्रसाद उर्फ तरूण जोशी की बारात पांच फरवरी को हरियाणा के हिसार में बरवाला गांव गयी थी।छह फरवरी को तुलसी प्रसाद की पंचम सेमेस्टर की परीक्षा होनी थी। विवाह की रस्में पूरी करने के बाद दूल्हे के रूप में सजाधजा तुलसी प्रसाद नवविवाहिता पत्नि सिद्धि जोशी, अपनी बहन और बहनोई के साथ सजीधजी कार से हिसार से सीधे कालेज पहुंचा। कालेज में ड्रेस कोड लागू होने की वजह से उसने प्राचार्य अशोक कुमार तिवारी से वर के लिबास में ही परीक्षा देने की अनमुति मांगी। छात्र की मजबूरी को देखते हुए प्राचार्य ने उसे परीक्षा देने की अनुमति दे दी। परीक्षा देने के बाद छात्र तुलसी प्रसाद घर के लिए रवाना हुआ।
कालेज प्रबंधन ने छात्र को सुखद दांपत्प और उज्जवल भविष्य का आशीर्वाद देकर विदा किया। अशोक कुमार तिवारी ने कहा कि कैरियर के प्रति छात्र तुलसी प्रसाद की गंभीरता सभी के लिए प्रेरणादायी है। छात्र यदि निर्धारित तिथि पर परीक्षा नहीं दे पाता तो उसका एक वर्ष खराब हो जाता। इसलिए उन्होंने उसे वर के लिबास में ही परीक्षा देने की अनुमति दी। तुलसी प्रसाद ने बताया कि विवाह के बाद होने वाले धार्मिक रीति रिवाज संपन्न होने के बाद ही वे अपने वस्त्र उतार सकते थे। ऐसे में घर जाकर रीति रिवाज संपन्न करते तो विलंब के चलते परीक्षा में शामिल नहीं हो सकते थे। इसलिए उन्होंने घर जाने से पहले परीक्षा देने फैसला किया।