देहरादून। राज्य में लगातार बढ़ते बिजली संकट का स्थाई समाधान ढूंढने के प्रयासों में जुटी सरकार और यूपीसीएल ने अब इसका एक नायाब तरीका तलाश कर लिया है। उत्तराखंड सरकार अब कोयला उत्पादन करने वाले राज्यों में अपने थर्मल पावर प्लांट लगाएगी।
ऊर्जा विभाग के अधिकारियों की बैठक में आज इस मुद्दे पर चिंतनकृमंथन किया गया। दरअसल राज्य गठन के दो दशक बाद भी उत्तराखंड राज्य बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं हो सका है उसे अभी भी अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार और पड़ोसी राज्यों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। हर साल सरकारी खजाने से हजारों करोड़ की बिजली खरीदी जाती है जिसके कारण यूपीसीएल और सरकार पर वित्तीय भार बढ़ता है और आर्थिक मुश्किलों से जूझना पड़ता है।
बिजली संकट से उबरने के लिए हालांकि शासन-प्रशासन के स्तर पर राज्य की कई जलविघुत परियोजनाओं को शुरू करने से लेकर सौर ऊर्जा सहित कई वैकल्पिक व्यवस्थाओं पर काम किया जा रहा है लेकिन राज्य की बिजली व्यवस्थाओं को फिर भी सुचारू नहीं किया जा सका है। आज यूपीसीएल की बैठक के बाद ऊर्जा सचिव मीनाक्षीसुंदरम द्वारा इस आशय की जानकारी देते हुए बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा शीघ्र ही इस पर फैसला लिया जाएगा। उनका कहना है कि राज्य में जो हाइड्रो पावर प्लांट है उनकी उपयोगिता सीजनल होने के कारण विघुत उत्पादन की स्थिति घटतीकृबढ़ती रहती है।
राज्य में थर्मल पावर प्लांट लगाना इसलिए घाटे का सौदा है क्योंकि कोयले का ट्रांसपोर्टेशन अत्यंत ही खर्चे वाला काम है। उनका कहना है कि यही कारण है कि राज्य में थर्मल पावर प्लांट लगाना संभव नहीं है। उनका कहना है कि कोयले के ट्रांसपोर्टेशन की तुलना में बिजली का ट्रांसपोर्टेशन अत्यंत ही सस्ता है इसलिए यह फैसला लिया गया है कि जो कोयला खदान वाले राज्य हैं उन राज्यों में सरकार अपने थर्मल पावर प्लांट लगाए। हालांकि यह काम भी आसान नहीं है और इसको धरातल पर उतारने में अभी लंबा समय लगेगा। लेकिन सरकार का यह प्रयास बिजली संकट का स्थाई समाधान हो सकता है।