देहरादून। देर रात रजिस्ट्रार ऑफिस में गड़बड़ी के मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता कमल विरमानी को एसआईटी ने गिरफ्तार किया है। कई दिन की आंख मिचैली के बाद विरमानी अपने ही घर से एसआईटी हत्थे चढ़ गए। अधिवक्ता को पुलिस किसी गुप्त स्थान पर ले गई, जहां उनसे पूछताछ की जा रही है। विरमानी पर आरोप है कि उन्होंने अपने मुंशी और वकील इमरान के साथ मिलकर करोड़ों का खेल किया। मामले में अब तक नौ लोग गिरफ्तार हो चुके हैं।
रजिस्ट्रार ऑफिस में पुराने बैनामों में छेड़छाड़ का मामला डेढ़ महीने पहले सामने आया था। प्राथमिक जांच के बाद डीएम ने कोतवाली देहरादून को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे। इसके बाद पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया। इनसे पूछताछ के बाद मुख्य आरोपी इमरान का नाम सामने आया।
एसआईटी ने प्राथमिक पड़ताल के बाद वकील इमरान को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई। मामले में कचहरी में और कई बड़े लोगों की तरफ उंगलियां उठने लगीं।
इसी बीच नाम आया वरिष्ठ अधिवक्ता कमल विरमानी का। साक्ष्य नहीं मिलने से पुलिस विरमानी पर हाथ नहीं डाल पा रही थी, लेकिन तीन दिन पहले विरमानी के मुंशी को पुलिस ने गिरफ्तार किया। इससे यह बात पुष्ट हो गई कि विरमानी का सीधे तौर पर इस मामले में हाथ है। बताया जा रहा है कि विरमानी ने 50 करोड़ से भी ज्यादा के वारे न्यारे इस जालसाजी में कर डाले।
इस बीच पुलिस ने शुक्रवार शाम को विरमानी को भी गिरफ्तार कर लिया। सूत्रों के अनुसार पुलिस विरमानी को किसी गुप्त स्थान पर ले गई है। उनसे वहां पूछताछ की जा रही है। पुलिस इस मामले में रविवार को आधिकारिक खुलासा कर सकती है।
नगर निगम में भी दलाल सक्रिय सरकारी और गैर सरकारी संपत्तियों पर नजर
इधर इस मामले में जानकारों का यह भी कहना है कि नगर निगम में भी बड़ी संख्या में भूमाफिया और दलाल सक्रिय है जोकि फर्जी कार्याे को अंजाम देने का काम करते है। सरकारी भूमि ठिकाने के लिए फर्जी कार्यो को अन्जाम दिया जा रहा है। इनकी गतिविधयों के चलते नगर निगम में भी लोगों के अस्समैंट व अन्य अभिलेखों में छेड़छाड की आशंका बनी रहती है। यानी आम आदमी के अधिकार यहां भी सुरक्षित नही है। नगर निगम का रिकार्ड रूम भी दलालो और भूमाफियाओं के निशाने पर है।
सूत्रों के अनुसार नगर निगम में मेयर के कई लोग खुद दलाली का काम करते है। जिन्हे मेयर ने अपने हिसाब से नगर निगम में कोई न कोई जिम्मेदारी दे रखी है। खासतौर पर इन्हे आउट सौर्सिंग कर्मचारियों से संबधित जिम्मेदारियां दी गयी है। वे अपना प्रभाव दिखाकर कई अवैध गतिविधियों को अंजाम दे सकते है। इसकी पूरी आशंका नगर निगम में बनी रहती है। उनकी गतिविधियों पर भी प्रशासन की निगाह होनी चाहिए। इसके अलावा तहसील में दलालों के चंगुल से आज तक बाहर निकल नही पाया। पटवारियों और दलालों का गठजोड़ हमेशा से चुनौती बना रहा है।