उत्तरकाशी। प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थित बदहाल है। शासन प्रशासन की ओर से किए जाने वाले दावे हवा हवाई नजर आते हैं। यहीं हाल उत्तरकाशी जनपद के 15 गांवों का एक मात्र एलोपैथिक चिकित्सालय दिचली का है।
यहां प्रतिदिन की ओपीडी 80 से 90 मरीजों की है लेकिन, अस्पताल में सिर्फ 4 बेड की सुविधा उपलब्ध है जिस कारण एक ही बेड पर दो से तीन मरीजों को उपचार के लिए मजूबर होना पड़ता है। अस्पताल की इस बदहाली पर स्थानीय लोगों में आक्रोश है।
दिचली गमरी पट्टी के 15 गांवों का मात्र एलोपैथिक चिकित्सालय एक डॉक्टर और एक फार्मासिस्ट के सहारे चल रहा है। अस्पताल का भवन क्षतिग्रस्त होने के बाद कोविड बिल्डिंग में संचालित हो रहा चिकित्सालय हजारों की आबादी के लिए एक मात्र सहारा है। लेकिन शासन प्रशासन की अनदेखी से इस अस्पताल की स्थित बदहाल है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल का भवन पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो चुका है सरकार न भवन के लिए बजट की व्यवस्था कर पा रही है और न ही स्टाफ के साथ ही जरुरी संशाधन। हॉस्पिटल में केवल चार बेड है जबकि हर दिन 80 से 90 लोग उपचार और दवाई के लिए आते हैं । उन्होंने अस्पताल के डाक्टर बिर्जेश डोभाल और फार्मासिस्ट रवि मेहरा को विषम परिस्थितियों में कार्य कर लोगों को उपचार देने के लिए धन्यवाद किया।
लोगों का कहना है कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने आंखों में पट्टी बांध रखी है । दिचली और गमरी पट्टी के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। बताया कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग को कभी पत्र के माध्यम से तो कभी बीडीसी के माध्यम से शिकायत की गई मगर उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया। शासन प्रशासन की इस अनदेखी से स्थानीय लोग अब लामबंद होने की तैयारी कर रहे हैं।