धामी सरकार पर गरजे हरीश रावत
देहरादून। अतिक्रमण हटाओ की आड़ में छोटे व्यवसायियों और युवाओं को बेरोजगार किए जाने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने गांधी पार्क में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने एक घंटे का मौन उपवास रखा। इस उपवास में कांग्रेस पार्टी के नेता और कार्यकर्ता भी शामिल हुए। हरीश रावत ने यह उपवास तीन बिंदुओं को लेकर किया। इस मौके पर हरीश रावत ने कहा कि समूचे राज्य में तथाकथित अतिक्रमण के नाम पर चिन्हीकरण का आतंक मचा हुआ है। इतना ही समांतर आतंक राज्य भर में प्राधिकरणों ने मचाया हुआ है।
हरीश रावत ने आगे कहा कि आज रेरा नाम प्रदेश के गांव-गांव में चर्चित हो गया है और लोगों को अपने आवासों का मेंटेनेंस करने, नक्शा पास कराने में कठिनाई हो रही है। जबकि अतिक्रमण की आड़ में भ्रष्टाचार चरम पर है। उन्होंने दूसरा बिंदु उठाते हुए कहा कि ग्लोबल मैकेंजी की राय पर देश के चंद पूंजीपतियों को खुश करने के लिए उत्तराखंड की बहुमूल्य जमीनों को खुर्द-बुर्द किए जाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि डोईवाला क्षेत्र, हल्द्वानी में गौला, ऋषिकेश स्थित आईडीपीएल की जमीनों को ट्विन सिटी के नाम या कल्चरल सिटी जैसे अन्य नाम देकर किसानों और स्थानीय निवासियों से यह जमीनें छीनने के षड्यंत्र किया जा रहा हैं।
सरकार भविष्य में इन जमीनों पर बड़ी-बड़ी अट्टालिकाएं बनाकर उत्तराखंड के पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के साथ ही उत्तराखंड वासियों के घर बनाने से लेकर जमीन कमाने के अधिकार को छीन रही है। उन्होंने बेलड़ा कांड का तीसरा बिंदु उठाते हुए कहा कि वहां पीड़ित परिवार न्याय की मांग को लेकर घर-घर दस्तक दे रहे हैं। यहां तक की पीड़ित परिवार मुख्यमंत्री से भी मुलाकात कर चुके हैं। जबकि कांग्रेस पार्टी भी अपने शिष्टमंडल के साथ उनके पास पहुंच चुकी है। लेकिन सरकार दलितों के मामले में असंवेदनशील बनी हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार दलित और महिलाओं के उत्पीड़न के मामले में असहनशील है। क्योंकि बेलड़ा में नियमों के तहत जो आर्थिक सहायता मृत होते ही पहुंच जानी चाहिए थी।
उन्हें सरकार की ओर से अब तक आर्थिक सहायता तक नहीं दी गई है। उन्होंने बेलड़ा कांड को सरकारी असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा बताया है। उन्होंने बागेश्वर उपचुनाव में आए चुनावी परिणाम को लेकर कहा कि बागेश्वर में किए गए संघर्ष के बाद कांग्रेस जनों में उत्साह है। आगे भी आने वाले चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी संघर्ष की आक्रामक रणनीति तैयार करने जा रही है।