लंदन से सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जताया शोक, हल्द्वानी पहुंचने लगे भाजपा नेता
हल्द्वानी। अविभाजित उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्य गठन के बाद दो दशक की सक्रिय और मुख्यधार की राजनीति के ध्वजवाहक पूरन चंद्र शर्मा नहीं रहे। वे 76 साल के थे। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार शर्मा ने करीब साढ़े पांच बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन पर लंदन से सीएम पुष्कर सिंह धामी, पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी समेत तमाम नेताओं ने गहरी शोक सवंदेना व्यक्त की है। शर्मा की बुधवार को चित्रशिला घाट में अत्येष्टि होगी।
पारिवारिक सूत्रों के अनुसार एक साल पहले शर्मा अपने देवलचौड़ रामपुर रोड संस्कृत महाविद्याल के नजदीक के घर में गिर गए थे। बाद में इनकी बिटिया इलाज के लिए हैदरावाद ले गई। पैर की चोट तो ठीक हो गई, लेकिन इस बीच इनको मुंह के कैंसर ने घेर लिया। इसका पता तीसरे स्टेज में चला। बताया जा रहा है कि एक सप्ताह पहले शर्मा अपने हल्द्वानी के घर में आ गए थे।
पूरन चंद्र शर्मा पहाड़ के चुनिंदा जनसंघियों में से एक रहे हैं। खांटी जनसंघी व जनता पार्टी के तेजतर्रार नेता सोबन सिंह जीना की संगत में शर्मा आपातकाल में जेल में भी रहे। 1977 में जनसंघ जनता पार्टी बनी। तब सोबन सिंह जीना अल्मोड़ा जिलाध्यक्ष तो पूरन चंद्रशर्मा महामंत्री बनाए गए। 1980 में जनता पार्टी ने भाजपा के रूप में जन्म लिया। तब शर्मा 1989 तक जिला महामंत्री रहे।
राज्य गठन के बाद शर्मा वर्ष 2000 में उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। शर्मा में पहाड़ के विकास के लेकर हमेशा चिंता थी और वर्तमान राजनीतिक वातावरण से काफी व्यथित थे। बाद में 1991 की प्रचंड राम लहर के दौर पर बारामंडल से विधायक बने और कल्याण सिंह की सरकार में पर्वतीय विकास मंत्री बनाए गए। राज्य गठन के बाद प्रदेश तीसरे प्रदेश अध्यक्ष बने। इनकी पत्नी का कुछेक साल पहले निधन हो गया। वे बहेड़ी में शिक्षक थी।