बेटी की लाइलाज बीमारी से परेशान होकर पिता ने शक्ति कैनाल में कूद की आत्महत्या

विकासनगर। एक निजी कंपनी से चार वर्ष पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्त हुए सिविल इंजीनियर संजय जैन (59) पुत्र धर्मचंद जैन निवासी पहाड़ी गली विकासनगर ने अपनी इकलौती बेटी की लाइलाज बीमारी से परेशान होकर शुक्रवार को शक्तिनहर में कूदकर आत्महत्या कर ली। इंजीनियर का शव ढकरानी पावर हाउस के इंटैक से बरामद हुआ।

पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने शव परिजनों को सौंप दिया। आत्महत्या करने से पहले इंजीनियर ने सुसाइड नोट अपने छोटे भाई के नाम लिखा है, जिसमें अपनी आत्महत्या के लिए खुद को जिम्मेदार बताते हुए पुलिस प्रशासन से अनुरोध किया है कि उसके परिवार को परेशान न करें। अपने भाइयों से बेटी की अच्छी परवरिश करने का अनुरोध भी किया है।

शुक्रवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे सेवानिवृत्त इंजीनियर संजय जैन अचानक घर से निकलकर गायब हो गये। काफी देर तक जब संजय जैन घर नहीं लौटे तब परिजनों ने तलाश शुरू की। सूचना के बाद स्थानीय पुलिस और एसडीआरएफ ने भी शक्तिनहर में खोजबीन शुरू की। कुछ देर तलाश करने के बाद संजय जैन का शव ढकरानी बांध परियोजना के इंटैक से बरामद हुआ।

पारिवारिक सूत्रों के अनुसार संजय जैन एक निजी कंपनी में सिविल इंजीनियर थे। चार वर्ष पूर्व संजय जैन की पत्नी लाइलाज बीमारी से ग्रसित हो गईं थीं। बीमारी के चलते उनकी मौत हो गयी। इसके बाद इकलौती बेटी पल्लवी भी अपनी मां की तरह बीमार हो गयी, जिसकी देखभाल के लिए संजय जैन ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्त ले ली। बेटी का लगातार इलाज कराते रहे, लेकिन लाइलाज बीमारी का कोई हल नहीं निकला, जिससे संजय जैन परेशान थे। इसके चलते संजय जैन ने नहर में कूदकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। परिजन रो-रोकर बेहाल है। घर में मातम पसरा हुआ है।

मरने से पहले अपने छोटे भाई मोनू के नाम लिखे सुसाइड नोट में पूरे परिवार और मां से माफी मांगी। कहा कि प्रभु इच्छा से उनका परिवार के साथ इतना ही साथ था। बताया कि उनकी पीएफ की पेंशन की आधी पेंशन बेटी पल्लवी के नाम लगावा लेना। बैंक में दो अकाउंट, जेवर, एलआईसी आदि हैं, जिससे बेटी पल्लवी की अच्छी देखभाल करना। जेवरात, जमीन के अन्य सारे जितने भी दस्तावेज हैं, वे सभी आलमारी में रखे हैं। कहा कि बेटी से कहना कि अपने अभागे बापू को माफ करना। बेटी का हौसला बढ़ाते रहना। भाइयों के बच्चों और भाइयों सभी को ढ़ेर सारा प्यार.।

संजय जैन के तीन छोटे भाई नीरज जैन डब्बू, सचिन जैन विक्की, आशीष जैन मोनू हैं। तीनों भाइयों के भरे पूरे परिवार के साथ मां भी रहती हैं। पूरा परिवार संयुक्त परिवार के रूप में एक साथ रहते हैं। मरने से पहले संजय जैन ने अपनी बेटी को भाइयों के सहारे छोड़ दिया।

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