तथाकथित अमृतकाल और तथाकथित बड़ी तेज़ी से बढ़ती जा रही हमारी अर्थव्यवस्था का नगाड़ा रातदिन तथाकथित मीडिया पीट रहा है। लगता है अब यहाँ सबकुछ “तथाकथित” ही है।
वास्तविकता को तो खुर्दबीन लेकर ढूँढना पड़ता है। प्रचारतंत्र लगातार बतला रहा है कि विश्व मेँ इस बढ़ती अर्थव्यवस्था की तेज़ी अन्य देशोँ का ध्यानाकर्षण कर रही है। तो अब ज़रा खुर्दबीन का भी इस्तेमाल कर लेँ !! वास्तविकता काफ़ी स्याह मिलेगी।
ख़बर है कि पिछले एक वर्ष मेँ (अक्टूबर 2022 से सितम्बर 2023) पूरे 96,917 भारतीय अवैध रूप से अमरीका मेँ घुसने की चेष्टा मेँ हिरासत मेँ लिये गए (पी॰टी॰आई॰)। यह स्वयं मेँ एक दुखद रिकौर्ड है, और कई सच्चाइयोँ पर से पर्दा भी उठाता है।
देश छोड़ने वालों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जारही है क्योंकि वे मोदीका अमृत हजम नहीं कर पा रहे हैं।
नई रिपोर्टोंसे पता चलता है कि भारत से अमेरिका, कनाडा और मैक्सिकोमें अवैध अप्रवासियों की संख्या हर वर्ष बढ़ रही है।अमेरिकी सीमाशुल्क और सीमासुरक्षा डेटा के अनुसार, अक्टूबर 2022 और 2023 केबीच, 96,917 भारतीयोंने अवैध रूपसे अमेरिकी सीमा पारकी, जबकि इस घुसपैठसे उनकी अपनी जानको खतरा है! 2019 में, 19,883 लोगोंने इसतरह से सीमा पारकी और 2023 तक यह चारगुना से भी अधिक होगई।
इसमें सबसे दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका जाने वाले लोगों की सबसे बड़ी संख्या गुजरातसे है, जहां तीस साल से अधिक समयसे भाजपाका शासन है।
इसके साथही दो और बातें ध्यान देने योग्य हैं. एक तो ये कि अकेले 2022 में भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या 2.25 लाख तक पहुंच जाएगी। दूसरे बात भारत से विदेश जाने वाले अरबपतियों की संख्या है, जो चिन्ताजनक है।
आंकड़े बताते हैं कि अकेले 2023 में, 6500 हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स (HNWI) यूएई और ऑस्ट्रेलिया में चले गए हैं।
पिछले दशक में भारत छोड़ने वाले अति अमीरों की संख्या एक लाख के करीब है। संकेत यह है कि अति अमीरों का पलायन जारी रहेगा। अर्थात हमारे ही लोग अब अपने धन और अपनी योग्यता, दोनोँ काही यहाँ निवेश करने से कतरा रहे हैँ। यह चिन्तनीय संकेत है कि हमारी अर्थव्यवस्था और भी अधिक तेज़ी से गिरने जा रही है।