राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने हरिद्वार के मेट्रो अस्पताल और रुड़की के क्वाड्रा अस्पताल पर कसा शिंकजा
देहरादून। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने आयुष्मान भारत योजना के तहत गंभीर अनियमितताओं के आरोप में हरिद्वार और रुड़की के दो प्रमुख निजी अस्पतालों क्रमश: क्वाड्रा हास्पिटल रुड़की और मेट्रो हास्पिटल हरिद्वार की संबद्धता तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दी है। दोनों अस्पतालों को पांच दिन के भीतर अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया है। लेकिन इस अवधि में योजना के तहत नए मरीजों की भर्ती पर रोक लगा दी गई है। हालांकि, जो मरीज पहले से भर्ती हैं उनका इलाज चलता रहेगा।
क्वाड्रा हास्पियल रुड़की पर सबसे गंभीर आरोप यह है कि इसने सामान्य चिकित्सा के 1800 में से 1619 मामलों में आईसीयू पैकेज का अनुचित तरीके से उपयोग किया। जांच में पाया गया कि अस्पताल ने एक सुनियोजित पैटर्न के तहत अधिकतर मरीजों को शुरुआत के तीन से छह दिनों तक आईसीयू में भर्ती दिखाया और छुट्टी से एक-दो दिन पहले उन्हें सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर दिया। यह तरीका इसलिए अपनाया गया ताकि आईसीयू पैकेज का भुगतान प्राप्त किया जा सके। क्योंकि नियमों के अनुसार मरीज को सीधे आईसीयू से छुट्टी नहीं दी जा सकती।
जांच में यह भी पाया गया कि कई ऐसे मामले जिनमें उल्टी, यूटीआई, निर्जलीकरण जैसी सामान्य शिकायतें थीं, उनमें भी मरीजों को आईसीयू में भर्ती दिखाया गया। दस्तावेजों में यह दर्शाने की कोशिश की गई कि मरीज की हालत गंभीर थी, लेकिन सच्चाई इससे काफी अलग थी। सभी मरीजों के तापमान को लगातार 102 डिग्री दिखाया गया। जबकि डिस्चार्ज के दिन अचानक यह सामान्य होकर 98 डिग्री पर आ जाता है, जिससे दस्तावेजों में हेराफेरी की आशंका जताई जा रही है। इसके अलावा कई तरह के गंभीर आरोपों की पुष्टि भी जांच में हुई है। अधिकांश दस्तावेजों की लिखावट और भाषा एक जैसी पाई गई, जिससे फर्जीवाड़े की संभावनाएं और गहरा गई।
वहीं, मेट्रो हास्पिटल हरिद्वार में भी इसी तरह की अनियमितताएं मिली हैं। यहां पर लगभग हर मरीज को तीन से 18 दिनों तक आईसीयू में भर्ती दिखाया गया। फिर डिस्चार्ज से एक-दो दिन पहले सामान्य वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया। चौंकाने वाली बात यह रही कि अस्पताल ने आईसीयू चार्ट, मरीज की आईसीयू तस्वीरें व अन्य दस्तावेज उपलब्ध ही नहीं कराए, जबकि ये एसएचए प्रोटोकाल के तहत अनिवार्य हैं।
टीएमएस पोर्टल पर अपलोड किए गए दस्तावेजों से पता चला कि कई सामान्य बीमारियों वाले मरीजों को भी आईसीयू में भर्ती दिखाया गया। साथ ही कई दस्तावेज धुंधले और अपठनीय थे। इससे साफ संकेत मिलते हैं कि मेट्रो अस्पताल ने भी आईसीयू श्रेणी की अपकोडिंग कर अधिक भुगतान लेने की कोशिश की।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने स्पष्ट किया है कि यदि तय समय में जवाब नहीं दिया गया या उत्तर संतोषजनक नहीं पाया गया तो इन अस्पतालों की स्थायी संबद्धता रद्द कर दी जाएगी और आर्थिक दंड की कार्रवाई भी की जाएगी।