देहरादून। उत्तराखंड में अब लालच , दबाव में किया गया जबरिया धर्मातरण गैरजमानती अपराध होगा। बुधवार को सीएम धामी की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट बैठक में धमार्ंतरण कानून को गैर जमानती बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। धामी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की अभी हाल में आई सख्त टिप्पणी और केंद्र को मिले निर्देशों के आलोक में तेजी दिखाते हुए जबरन धमार्ंतरण कानून को कड़ा कर दिया है। अब उत्तराखंड में धमार्ंतरण कानून गैर जमानती अपराध कर दिया गया है जिसमें 10 वर्ष की सजा होगी।
फैसले के मुताबिक उत्तराखण्ड राज्य में भारत के संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 27 एवं 28 में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के अन्तर्गत प्रत्येक धर्म की महत्ता को समान रूप से प्रबल किऐ जाने के उद्देश्य से वर्ष 2018 में उत्तराखण्ड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2018 ( उत्तराखण्ड अधिनियम संख्या: 28 वर्ष 2018 ) प्रख्यापित किया गया था। वर्तमान में परिवर्तित परिस्थितियों एवं एक्ट को और अधिक सशक्त बनाये जाने के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश राज्य की भांति उत्तराखण्ड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2022 को प्रख्यापित किया जा रहा है।
केदारनाथ में मिनी एयरपोर्ट बनेगा
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश कैबिनेट ने केदारनाथ में मिनी एयरपोर्ट के बाबत भी फैसला लिया है। माना जा रहा है कि केदारनाथ की पर्यावरणीय संवेदनशीलता को देखते हुए इस फैसले का विवाद में फंसना तय है क्योंकि पर्यावरण विशेषज्ञ केदारनाथ में हेलीकॉप्टर की उड़ानों के भी पक्षधर नहीं रहे हैं। 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ में भारी निर्माण पर भी सवाल उठते रहे हैं।
फैसले के मुताबिक उत्तराखण्ड राज्य में भारत के संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 27 एवं 28 में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के अन्तर्गत प्रत्येक धर्म की महत्ता को समान रूप से प्रबल किऐ जाने के उद्देश्य से वर्ष 2018 में उत्तराखण्ड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2018 ( उत्तराखण्ड अधिनियम संख्या: 28 वर्ष 2018 ) प्रख्यापित किया गया था। वर्तमान में परिवर्तित परिस्थितियों एवं एक्ट को और अधिक सशक्त बनाये जाने के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश राज्य की भांति उत्तराखण्ड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2022 को प्रख्यापित किया जा रहा है।
केदारनाथ में मिनी एयरपोर्ट बनेगा
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश कैबिनेट ने केदारनाथ में मिनी एयरपोर्ट के बाबत भी फैसला लिया है। माना जा रहा है कि केदारनाथ की पर्यावरणीय संवेदनशीलता को देखते हुए इस फैसले का विवाद में फंसना तय है क्योंकि पर्यावरण विशेषज्ञ केदारनाथ में हेलीकॉप्टर की उड़ानों के भी पक्षधर नहीं रहे हैं। 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ में भारी निर्माण पर भी सवाल उठते रहे हैं।