नैनीताल हाईकोर्ट को कहीं और शिफ्ट करने का मुद्दा लंबे समय से प्रदेश में बहस में था
देहरादून। प्रदेश कैबिनेट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट को नैनीताल से हटाकर हल्द्वानी शिफ्ट करने का फैसला लिया है। नैनीताल हाईकोर्ट को कहीं और शिफ्ट करने का मुद्दा लंबे समय से बहस में था। बुधवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में 26 मामले आए थे जिनमें से एक को छोड़कर बाकी सभी 25 प्रस्तावों पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी है। विधानसभा सत्र आहूत होने के कारण फैसलों की आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई मगर, सूत्रों के मुताबिक इसके लिए वन विभाग से कुछ जमीन भी स्थानांतरित की गई है। बीते दिनों हाईकोर्ट ने इस बाबत सुझाव भी मांगे थे। धामी सरकार ने यह फैसला ले तो लिया है मगर इस पर विवाद उठना तय माना जा रहा है क्योंकि हाईकोर्ट को हल्द्वानी शिफ्ट किए जाने के मसले पर बार एसोसिएशनों के अलग-अलग सुर रहे हैं।
हल्द्वानी, बागेर और पिथौरागढ़ आदि बार एसोसिएशनें नैनीताल से हाईकोर्ट को गौलापार हल्द्वानी शिफ्ट करने का पुरजोर समर्थन करती रही है। वहीं हरिद्वार बार की मांग रही है कि हाईकोर्ट को हरिद्वार लाया जाए या फिर उसकी एक बेंच वहां स्थापित हो। हाईकोर्ट स्थानांतरण को लेकर नैनीताल के वकीलों का एक तबका विरोध करता रहा है। हल्द्वानी के पक्षधरों का तर्क रहा है कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए अब वादियों को नैनीताल जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
पर्यटन सीजन हो या फिर बरसात में मार्ग बाधित होने की वजह से कई तरह की दिक्कतें होती हैं। यदि हाईकोर्ट हल्द्वानी में शिफ्ट होता है तो यहां वादियों के लिए सभी प्रकार की सुलभ व्यवस्थाएं हैं। नैनीताल की भगौलिक स्थिति है यहां पहाड़ी दरकने की आशंका रहती है। नैनीताल हाईकोर्ट में काम करने वाले स्टाफ और वकील हल्द्वानी से आवाजाही करते हैं। इससे परिवहन से जुड़ी समस्याओं का समाधान होगा। उच्च न्यायालय कोर्ट ऑफ रिकॉर्ड भी होता है। उसे अगले 30 साल तक हर दस्तावेज को संभालकर रखना होता है।