हल्द्वानी। उत्तराखंड वन विभाग बड़े पैमाने पर लीसा का उत्पादन करता है। लीसे से सरकार को मोटे राजस्व की प्राप्ति होती है। पहाड़ों के जंगलों पर लगी आग, जहां सरकार और वन विभाग के लिए मुसीबत बन रही है।
वहीं उत्तराखंड में लीसा डिपो की सुरक्षा को लेकर भी सरकार चिंतित है। क्योंकि इन लीसा डिपो में भारी मात्रा में लीसा का स्टॉक पड़ा है। ऐसे में गर्मी के दिनों में लीसे में आग की खतरा बना रहता है। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वन विभाग को सख्त निर्देश दिए हैं। सीएम ने आग की दृष्टि से लीसा डिपो की सुरक्षा को चाक चैबंद किए जाने के निर्देश दिए है। साथ ही 24 घंटे फायर की गाड़ियों के साथ-साथ अन्य इंतजाम के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हल्द्वानी के साथ-साथ टनकपुर और अन्य जगहों पर लीसा के डिपो हैं। जहां सीएम धामी द्वारा पर्याप्त अग्नि सुरक्षा व्यवस्था के निर्देश दिए गए हैं। बात हल्द्वानी के सुल्ताननगरी और काठगोदाम लीसा डिपो करें तो वर्तमान समय में करीब 70 हजार कुंतल लीसे का स्टॉक पड़ा है। जिसकी कीमत एक अरब से अधिक बताई जा रही है।
लीसे जैसे ज्वलनशील पदार्थ सुरक्षा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील माना जाता है। लीसे की सुरक्षा को लेकर स्टाफ अलर्ट है। लीसा डिपो की अग्नि सुरक्षा को लेकर भी कई बार सवाल खड़े होते रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री ने लीसा डिपो में अग्नि सुरक्षा की व्यवस्था को लेकर अधिकारियों को निर्देशित किया है। उत्तराखंड में लीसे के चार सबसे बड़े केंद्र हैं, जहां हल्द्वानी के सुल्ताननगरी व काठगोदाम के हनुमानगढ़ी,नरेंद्र नगर और टनकपुर में लीसे का स्टॉक है।
बात हल्द्वानी के लीसा डिपो की करें तो यहां पर मानक के अनुसार पर्याप्त अग्निशमन की सुरक्षा नहीं है। ऐसे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लीसा डिपो की सुरक्षा को लेकर वन विभाग के अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किया है।
हल्द्वानी के सुल्ताननगरी डिपो और हनुमानगढ़ी डिपो में मिलाकर करीब 70 हजार कुंतल लीसा डंप पड़ा है। जिसकी कीमत एक अरब से अधिक की बताई जा रही है। वहीं लीसे की बिक्री की मांग कम होने से गर्मियों में सुरक्षा को लेकर चिंता भी बनी रहती है। वहीं लीसे में आग लग गई तो उसे नियंत्रित करना बड़ी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में जरा सी लापरवाही विभाग को भारी नुकसान पहुंचा सकती है।