आज पूर्णाहुति एवं भंडारे के साथ होगा समापन
रुद्रपयाग। सिलगढ़ क्षेत्र की आराध्य देवी मां इंद्रासणी मंदिर कंडाली में हो रहे नौ दिवसीय अयुत्त महायज्ञ के आठवें दिन जल कलश शोभा यात्रा का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग oo501 भक्तों ने कलश यात्रा में प्रतिभाग कर पुण्य अर्जित किया।
सिलगढ़ क्षेत्र के कंडाली गांव स्थित मां इन्द्रासणी देवी मंदिर मे गुरूवार को सुबह पुजारी ने मां इन्द्रासणी की भोग मूर्तियों को पंच स्नान के साथ श्रृंगार किया तथा विशेष पूजा अर्चना के बाद भोग लगाया। इसके बाद ब्राrाणों ने वैदिक मंत्रों के साथ जौ-तिल व घी की आहुतियां डालनी शुरू की। इससे पूर्व ग्रामीणों मां के दरबार में पहुंचकर लाल चुनरी, धूप पिठाई एवं भेंट लगाकर अपने परिवार की खुशहाली की कामना की।
11 बजे मंदिर समिति के पदाधिकारी एवं स्थानीय ग्रामीण स्थानीय वाद्य यंत्रों के साथ मंदिर से आधा किमी दूर धनौ तोक के प्राचीन जल स्त्रोत पर पहुंचे, जहां जल स्त्रोत की पूजा अर्चना कर जल को कलशों को भरा गया। जैसे ही जल कलश यात्रा अपने गंतव्य के लिए रवाना हुई, तो भक्तों के जयकारों से क्षेत्र का पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। जल कलश यात्रा के मंदिर परिसर पहुंचने पर वहां उपस्थित सैकडों भक्तों ने अक्षत एवं पुष्प से कलश यात्रा का जोरदार स्वागत किया। कलश यात्रा में 501 भक्तों ने प्रतिभाग कर पुण्य अर्जित किया।
इस दौरान जल कलश यात्रा के साथ ही पांडव लीला, रामलीला एवं नागलीला की झांकियां दर्शकों के आकषर्ण का केन्द्र बनी रही। महायज्ञ का आज पूर्णाहुति एवं भंडारे के साथ का समापन होगा। महायज्ञ संपन्न होने के बाद मां की भोगमूर्तियों को मंदिर में स्थापित किया जाएगा। समिति ने इस धार्मिंक कार्यक्रम के अंतिम दिन अधिक से अधिक भक्तों से पहुंचने की अपील की है।
इस अवसर पर मठापति सुरेंद्र चमोली, मंदिर समिति के अध्यक्ष जगत सिंह बुटोला, मुख्य आचार्य सुदर्शन पुरोहित, संयोजक मंडल के सदस्य ओपी बहुगुणा, नरेश भटट, शिव प्रसाद, वीरबल सिंह, वीरेन्द्र पंवार, त्रिलोक सिंह, अनुसूया प्रसाद, जगत सिंह, रमेश चन्द्र, नीलकंठ भटट समेत हजारों की संख्या में भक्तजन उपस्थित थे।