सरकार का फैसला पहाड़ विरोधी मानसिकता
यूकेडी और आप ने की गैरसैंण शिफ्ट करने की मांग
कांग्रेस नें फैसले को बताया जन भावनाओं के अनुरूप
देहरादून। हाईकोर्ट को नैनीताल से हल्द्वानी करने के राज्य कैबिनेट के फैसले पर अब सियासत हावी होती दिख रही है। उत्तराखंड क्रांति दल और आम आदमी पार्टी ने सरकार के इस फैसले को पहाड़ विरोधी मानसिकता का परिचय बताया है तथा हाईकोर्ट को गैरसैंण शिफ्ट करने की मांग की है।
यूकेडी और आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों में से किसी को भी पहाड़ के हित का ख्याल नहीं है वह सिर्फ पहाड़ के हित की बात करते हैं।
राजधानी के मुद्दे की तरह अब वह हाईकोर्ट की शिफ्टिंग के मुद्दे पर राजनीतिक रोटियां सेकने की तैयारी कर रहे हैं। यूकेडी नेता व पूर्व अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी का कहना है कि जब इस राज्य का गठन पहाड़ के उत्थान की अवधारणा के साथ गैरसैंण से शुरू हुआ था तो गैरसैंण को स्थाई राजधानी क्यों नहीं बनाया गया? क्यों 20 सालों से इस पर राजनीति की जा रही है। उन्होंने कहा कि गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने के साथ हाई कोर्ट को गैरसैंण शिफ्ट किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राज्य हित के मुद्दों पर सिर्फ राजनीति करते आए हैं। उधर आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता का कहना है कि भाजपा और कांग्रेस की सोच हमेशा पहाड़ विरोधी रही है। दोनों दलों की मानसिकता पहाड़ विरोधी है। उनका कहना है कि नैनीताल हाईकोर्ट को हल्द्वानी शिफ्ट किए जाने का फैसला इसकी ताजा मिसाल है। आप नेताओं का कहना है कि आम आदमी पार्टी सरकार के फैसले की निंदा करती है तथा हाईकोर्ट हल्द्वानी के बजाए गैरसैंण शिफ्ट करने की मांग करती है। यूकेडी के प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा के स्थानीय नेताओं द्वारा सरकार के इस फैसले पर घड़ियाली आंसू बहाये जा रहे हैं। अगर उन्हें सरकार के फैसले पर आपत्ति है तो वह अपनी विधायकी से इस्तीफा क्यों नहीं देते?
उधर कांग्रेस नेता यशपाल आर्य का कहना है कि सरकार के फैसले से नैनीताल के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तथा पर्यटकों को होने वाली परेशानियों से निजात मिलेगी इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा भी सरकार के फैसले को स्वागत योग्य बता चुके हैं। लेकिन इसे लेकर अब सियासी माहौल जरूर गर्माता दिख रहा है।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के आठ प्रमुख स्थानों पर विभिन्न रणनीतिक और रचनात्मक कार्याे के माध्यम से, वेस्ट वारियर्स संस्था ने न केवल लोगो को सही कचरा प्रबंधन हेतु जागरूक किया अपितु ठोस अपशिष्ट के प्रबंधन में भी बड़ी भूमिका निभाई है। संस्था द्वारा वर्ष 2009 से मैक्लोडगंज और त्रिउंड में अपने स्वयंसेवकों के साथ मिलकर सफाई अभियान चला एक लंबा सफर शुरू किया और 2012 में देहरादून में एक संस्था के रूप में पंजीकृत हो गया। अब, सभी स्थानों पर लगभग 150 वारियर्स की एक टीम यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है कि ऐसी व्यवस्था हो, जहां हर नागरिक अपने कचरे का सही ढंग से निपटान करे और स्वच्छता के प्रति नागरिक जिम्मेदारी और राष्ट्रीय गौरव की भावना महसूस करे।
संस्था के पदाधिकारियों का कहना है कि वेस्ट वारियर्स संस्था आज नागरिको, समुदायों, बच्चों, स्वयं सेवको,सफाई साथियों, हरित श्रमिकों, स्वयं सहायता समूह और कचरा बीनने वालों के साथ हाथ मिलाकर बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं। कार्यक्रम में उत्तराखंड के सिंचाई और उत्पाद शुल्क विभाग के अतिरिक्त सचिव हरीश चंद्र सेमवाल, उत्तराखंड पंचायती राज के पूर्व निदेशक और सचिव, कैरोलिन रोवेट, उप उच्चायुक्त, ब्रिटिश उच्चायोग और वेस्ट वॉरियर्स के पूर्व अध्यक्ष, संजय अग्रवाल, गौरव सोनी और बॉब वर्मा सहित कई लोग उपस्थित रहे जिनके द्वारा वेस्ट वॉरियर्स परिवार को संबोधित किया गया।