अगली सुनवाई 23 नवम्बर की तिथि तय
नैनीताल। उत्तराखंड हाइकोर्ट ने प्राईमरी व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजो के आधार पर नियुक्ति पाए करीब साढ़े तीन हजार शिक्षकों की नियुक्ति के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि अभी तक कितने शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच की गई है। कितने फर्जी शिक्षक अभी तक सस्पेंड किये है।
सुनवाई पर राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि 33 हजार शिक्षकों में से करीब 12 हजार शिक्षकों के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच हो चुकी है। बाकी बचे लोगों की जांच की प्रक्रिया जारी है। सरकार का तथ्य सुनते हुए कोर्ट ने कहा कि मामला अति गंभीर है। इसलिए जो जांच विचाराधीन है उसको शीघ्र पूरी की जाय। सरकार के जवाब में कोर्ट के सामने यह भी तथ्य लाया गया कि 33 हजार शिक्षकों में से 69 शिक्षकों के फर्जी फस्तावेज पाए गए हैं। जिनमे से 57 लोगों को सरकार ने सस्पेंड कर दिया है। मामले की अगली सुनवाई 23 नवम्बर की तिथि नियत की है।
मामले के अनुसार स्टूडेंट वेलफेयर सोसायटी हल्द्वानी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य के प्राईमरी व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में करीब साढ़े तीन हजार अध्यापक जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी तरीके से नियुक्त किये गए हैं। जिनमें से कुछ अध्यापकों की एसआईटी जांच की गई जिनमें खचेड़ू सिंह ,ऋषिपाल, जयपाल के नाम सामने आए।