देहरादून। केदारनाथ यात्रा मार्ग पर यात्रियों की सुविधा के लिए संचालित घोड़े-खच्चरों की मौत पर पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने चिंता जताई है। उन्होंने पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज को फोन कर इस संबंध में सरकार से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। पर्यटन मंत्री महाराज और पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने इसका संज्ञान लिया है।बहुगुणा के अनुसार केदारनाथ यात्रा में अब प्रतिदिन 50 प्रतिशत घोड़े-खच्चरों का संचालन किया जाएगा। साथ ही यह निर्देश भी दिए गए हैं कि यदि कोई घोड़ा-खच्चर संचालक नियमों की अनदेखी करता है तो उसके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। यही नहीं, संचालक की लापरवाही से किसी घोड़े-खच्चर की मृत्यु होती है तो उसकी बीमा राशि भी रोकी जाएगी।पूर्व मंत्री मेनका गांधी की ओर से चिंता जताए जाने के बाद पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने तत्काल पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा से वार्ता की। उन्होंने केदारनाथ यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की संख्या नियंत्रित करने के मद्देनजर हस्तक्षेप करने पर जोर दिया।
इसके साथ ही महाराज ने सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर को निर्देश दिए कि केदारनाथ में संचालित घोड़े-खच्चरों के मामले में ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए कि भोजन करने के बाद घोड़े-खच्चरों को कम से कम तीन-चार घंटे आराम मिले, इससे यात्रा मार्ग पर इनकी संख्या नियंत्रित हो सकेगी।
उन्होंने कहा कि घोड़े-खच्चरों की मौत पर विराम लगना चाहिए।पर्यटन मंत्री महाराज ने सचिव पर्यटन को यह भी निर्देश दिए कि केदारनाथ में वहन क्षमता से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं होनी चाहिए। यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इस प्रकार की व्यवस्था होनी चाहिए कि श्रद्धालुओं को धीरे-धीरे धामों की ओर भेजा जाए। उन्होंने कहा कि यदि भीड़ कम होगी तो घोड़े-खच्चरों पर भी दबाव कम पड़ेगा। मूक जानवरों का ध्यान रखना भी हमारा दायित्व है।नवोत्थान सोसाइटी ने केदारनाथ में घोड़ों और खच्चरों की मौत से आहत होकर सरकार से इनके संचालन व रखरखाव के लिए गाइडलाइन बनाने की मांग की है।