डीएसी में तैनात हवलदार दिनेश चंद्र का रिटायरमेंट से ठीक पहले आकस्मिक निधन
सैन्य टुकड़ी ने मातमी धुन बजाकर दी अंतिम सलामी, हरिद्वार में अंत्येष्टि
देहरादून। कुदरत का खेल भी अनोखा है। डीएसी में तैनात जिस जवान को रिटायरमेंट होकर घर पहुंचना था, ठीक उसी दिन तिरंगे में लिपटा उनका पार्थिव शरीर घर पहुंचा।
गोरखपुर (प्रेमनगर) निवासी दिनेश चंद्र ममगाई 24 साल तक नागा रेजीमेंट की दूसरी बटालियन में तैनात रहे। यहां से हवलदार रैंक से रिटायर होने के बाद वह दोबारा डीएसी में भर्ती हुए। वर्तमान में उनकी तैनाती सरसावा में थी। बताया जा रहा है कि डीएसी में 14 साल की सर्विस पूरी होने के बाद एक जून को वह रिटायर होकर घर पहुंचने वाले थे। लेकिन इससे कुछ घंटे पहले डय़ूटी के दौरान उनका आकस्मिक निधन हो गया।
उनके पार्थिव शरीर को सोमवार सुबह अंतिम दर्शन के लिए गोरखपुर स्थित आवास लाया गया। जहां पर गोरखा राइफल्स की सैन्य टुकड़ी ने मातमी धुन बजाकर उन्हें अंतिम सलामी दी। साथ ही गौरव सेनानी एसोसिएशन से जुड़े तमाम पूर्व सैनिकों ने भी उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित किया।
प्रदेश के कैबिनेट मंत्री डा. धन सिंह रावत और विधायक सहदेव पुंडीर ने भी हवलदार दिनेश चंद्र के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर परिजनों का ढाढ़स बंधाया। इसके बाद उनकी अंतिम यात्रा हरिद्वार के लिए निकली, जहां सैन्य सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि हुई।
गौरव सेनानी एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मनवर रौथाण, विक्रम कंडारी, गिरीश जोशी, देव सिंह पटवाल, विरेन्द्र कंडारी, विनोद सिंह, लक्ष्मण सिंह, श्याप थापा, अजयवीर सिंह, उत्तम गुसाई आदि पूर्व सैनिक उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए।
मिली जानकारी के अनुसार हवलदार दिनेश चंद्र मूल रूप से पौड़ी जिले के राठ क्षेत्र के सिमणी गांव के रहने वाले थे। हालांकि पिछले कुछ साल से उनका परिवार गोरखपुर-प्रेमनगर में रह रहा है।
बताया जा रहा है कि घर पर उनके रिटायरमेंट पार्टी की तैयारी की जा रही थी, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। रिटायरमेंट पार्टी की जगह हवलदार दिनेश चंद्र का तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर घर पहुंचा और परिजनों पर अचानक दुख का पहाड़ टूट गया। वह अपने पीछे पत्नी आनंदी देवी के साथ तीन बेटे और दो बेटियां छोड़ गए।