नौकरी में महिलाओं के 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर रोक के आदेश पर सुप्रीम स्टे

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हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले पर लगा दी थी रोक
-सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी एसएलपी
नई दिल्ली/देहरादून। उत्तराखण्ड की पारम्परिक दीवाली इगास बग्वाल पर दिल्ली से एक खुशखबरी आयी है। राज्य सरकार की नौकरियों में महिलाओं को 30 फीसद क्षैतिज आरक्षण पर रोक संबंधी नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इस मामले में ठोस पैरवी को लेकर राज्य सरकार के सामने काफी दबाव था।
ज्ञात हो कि नैनीताल हाईकोर्ट में पहले दायर एक याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकारी नौकरी में महिलाओं को 30 फीसद क्षैतिज आरक्षण देने के सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसकी स्वीकृति दी थी। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद महिला आरक्षण को यथावत रखने के लिए राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर की गई थी। उसी पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है। गौरतलब है कि नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेश के बाद प्रदेश में कई जन संगठन सड़क पर उत्तर गये थे। इस मामले को लेकर दो दिन पहले ही महिलाओं ने सचिवालय कूच कर विरोध भी जताया था। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के स्टे के बाद प्रदेश सरकार ने राहत की सांस ली है। मंत्रिमंडल ने भी इस मामले में अध्यादेश लाये जाने पर मुहर लगा दी थी।
महिला हितों की रक्षा के लिए हम प्रतिवद्ध : धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रदेश की महिलाओं के हित में दिए गए फैसले का हम स्वागत करते हैं। हमारी सरकार प्रदेश की महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है। हमने महिला आरक्षण को यथावत बनाए रखने के लिए अध्यादेश लाने की भी पूरी तैयारी कर ली थी। साथ ही हमने उच्चतम न्यायालय में भी समय से अपील करके प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की।

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