कम मतदान को कांग्रेस और भाजपा ने अपनी जीत का आधार बताया
सीएम धामी के साथ ही कांग्रेस के दिग्गजों की प्रतिष्ठा लगी है पूरी तरह दांव पर
बागेसोर छिटपुट घटनाओं के बीच मतदान संपन्न होने के बाद भाजपा, कांग्रेस समेत सभी पांच प्रत्याशियों ने राहत की सांस ली है। इन सभी का भाग्य मतगणना तक ईबीएम में कैद है। इसके साथ ही जीत हार के दावे प्रतिदावों का दौर भी शुरू हो गया है। कम मतदान को कांग्रेस और भाजपा अपने पक्ष में बता रहे हैं।
इस उप चुनाव में कांग्रेस ने बंसत कुमार, भाजपा पार्वती दास, उक्रांद अजरुन देव, उपपा भगवत कोहली और सपा ने भगवती प्रसाद त्रिकोटी को प्रत्याशी बनाया था। बसपा ने किसी को भी मैदान में नहीं उतारा। चुनाव की घोषणा से लेकर मतदान तक कांग्रेस और भाजपा के बीच में सीधी टक्कर दिखाई दे रही है। उत्तराखंड के विस उपचुनाव के राजनीतिक इतिहास में बागेर पहली विस बन रही है, जहां सहानुभूति लहर नहीं दिखाई दी। 2022 में इस सीट से जीत कर चंदन राम दास मंत्री बने थे। दुर्भाग्य से असमय दिवगंत होने के बाद यह सीट खाली हो गई थी। भाजपा ने इस सीट पर चंदन राम दास की पत्नी पार्वती को मैदान में उतारा तो कांग्रेस ने 2022 में आप से चुनाव मैदान में उतरे बंसत कुमार को मैदान में उतारा।
चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने कांग्रेस में जमकर तोड़फोड़ की। 2022 के कांग्रेस विस प्रत्याशी रंजीत दास भाजपा में शामलि हुए। इसके अलावा कई अन्य नेताओं ने भाजपा का दामन थामा। इससे चुनाव रोचक बनता रहा। अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए सीएम पुष्कर सिंह धामी के साथ ही तमाम मंत्रियों एवं विधायकों ने जमकर प्रचार किया। संगठन दिन रात काम करता रहा। इसी तरह से कांग्रेस पूर्व सीएम हरीश रावत, पीसीसी प्रमुख करन महरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य भी बागेर में जमे रहे।
इस बीच उपचुनाव में गत चुनावों की अपेक्षा कम मतदान को भाजपा ने अपेक्षा के अनुरूप मतदान बताते हुए कहा कि उपचुनाव में यह आंकड़ा सही है तथा इससे भाजपा को फायदा होगा। जबकि कांग्रेस ने कहा है कि इस बार कम मतदान व सीधा मुकाबला होना कांग्रेस के पक्ष में है। भाजपा का कहना है कि उपचुनाव में उन्हें 50 से 55 फीसदी तक मतदान की उम्मीद थी जो कि उपचुनाव में होता है। कहा कि उनका मतदाता केंद्र तक पहुंचा है तथा उसने भाजपा के पक्ष में मतदान किया है। बूथों में अधिक महिलाओं की संख्या देखते हुए भाजपा ने इसे स्व दास के प्रति श्रद्धांजलि मतदान बताया।
कांग्रेस के पदाधिकारियों ने कहा है कि जब भी 60 फीसदी से कम मतदान हुआ है तब कांग्रेस को इसका लाभ मिला है। इस बार मामला त्रिकोणीय के बजाय आमने सामने का होने के कारण इसका लाभ भी कांग्रेस को मिला है। अब यह मतदान का आंकडा किसके पक्ष में होगा यह 8 सितंबर की दोपहर तक ही तस्वीर साफ होगी। इतना तय है कि इस चुनाव में सीएम धामी के साथ ही काग्रेस के तमाम दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।