प्रीपेड बिजली मीटर  को लेकर चढ़ा सियासी पारा

विपक्ष सरकार की इस योजना का विरोध करने पर उतारू
देहरादून। ऊर्जा विभाग तथा उत्तराखंड सरकार द्वारा तमाम तरह की आशंकाओं पर स्पष्टीकरण दिए जाने के बावजूद भी राज्य में लगाये जा रहे प्रीपेड बिजली मीटर पर सूबे की सियासत में हंगामा मचा हुआ है।
ऊर्जा विभाग का कहना है कि यह प्रीपेड बिजली मीटर अकेले उत्तराखंड राज्य में नहीं लगाये जा रहे हैं यह एक केंद्र सरकार की योजना है लेकिन इसके बाद भी प्रीपेड मीटर पर विपक्षी दलों द्वारा विरोध किया जा रहा है।
यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार और ऊर्जा विभाग के सचिव मीनाक्षी सुंदरम का कहना है कि अभी किसी को भी प्रीपेड मीटर को रिचार्ज नहीं कराना पड़ेगा। जो उपभोक्ता पुरानी व्यवस्था के तहत बिल देना चाहते हैं दे सकते हैं।
उनका कहना है कि इससे गलत बिजली बिल आने की शिकायतें समाप्त हो जाएगी तथा इससे उपभोक्ताओं को कोई परेशानी नहीं होगी। यही नहीं प्रीपेड मीटर के विरोध को देखते हुए इसे पहले मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों के घरो व कार्यालय में लगाने की बात भी कहीं जा रही है।
कांग्रेस नेता इसे जनता के साथ धोखा बता रहे हैं। उनका साफ कहना है कि मंत्रियों और अधिकारियों को कौन सा बिल अपनी जेब से भरना पड़ता है। कांग्रेस का कहना है कि राज्य में अभी डिजिटल लिटरेसी का स्तर इतना नहीं बढ़ा है कि सब लोग इसकी बारिकियों को समझ सके। इसलिए यह व्यवस्था जनहित में नहीं तथा वह जनता के लिए लड़ाई लड़ते रहेंगे।
उधर भाजपा नेता महेंद्र भटृ का कहना है कि कांग्रेस जनता में बेवजह का भ्रम फैला रही है। उन्होंने कांग्रेस पर बेवजह के मुद्दों पर राजनीति करने का आरोप लगाया। राज्य में ढाई साल में प्रीपेड मीटर लगाने का लक्ष्य है लेकिन अब तक 15 लाख प्रीपेड मीटर ही लगाये जा सके हैं।

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