चमोली। जोशीमठ ब्लाक की उर्गम घाटी में स्थित भगवान वंशीनारायण मंदिर के कपाट सिर्फ रक्षाबंधन पर्व पर एक दिन के लिए ही खुलते हैं। विभिन्न इलाकों से आई बहिने मंदिर में पहुंच कर भगवान विष्णु की चतुभरुज मूर्ति की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं।
बताते चलें कि उर्गम गांव से करीब 5 किमी की दूरी पर स्थित प्राचीन वंशीनारायण मंदिर का निर्माण पांडवों ने किया था। रक्षाबंधन के दिन कलगोठ गांव के ग्रामीण भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं। मां नंदा के पुजारी हरीश रावत द्वारा विभिन्न प्रकार की पूजाओं का संपादन किया जाएगा।
भगवान को भक्तों की ओर से हलवा, दूध, मक्खन के साथ स्थानीय उत्पादों का भोग लगाया जाएगा। उर्गम के पूर्व प्रधान लक्ष्मण सिंह रावत के अनुसार रक्षाबंधन पर वंशीनारायण मंदिर में बहिनें भगवान को रक्षासूत्र बांधने पहुंचती हैं। इसके बाद बहिनें वापस लौट कर भाइयों को राखी बांधती हैं। यह परंपरा सदियों चली आ रही है।
मान्यता है कि देवताओं के आग्रह पर भगवान विष्णु ने वामन रूप धारण कर दानबीर राजा बलि का घमंड चूर किया था। तब राजा बलि ने पाताल में जाकर भगवान विष्णु की कठोर तपस्या की थी। तपस्या से प्रफुल्लित होकर विष्णु ने बलि को वरदान मांगने को कहा तो बलि ने उन्हें द्वारपाल बनाने का आग्रह किया। इसे भगवान विष्णु ने स्वीकार कर दिया और वे राजा बलि के साथ पाताल लोक चले गए।
कई दिनों तक जब माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को कहीं नहीं पाया तो उन्होने महषर्ि नारद के सुझाव पर रक्षाबंधन के दिन राजा बलि को रक्षा सूत्र बांध कर भगवान विष्णु को मुक्त करने का आग्रह किया। इसके बाद राजा बलि ने भगवान विष्णु को माता लक्ष्मी के साथ इसी स्थान पर मिलाया। इसके चलते हर साल रक्षाबंधन पर ही भगवान वंशीनारायण के कपाट एक दिन के लिए ही खुलते हैं। इससे बहिने भगवान विष्णु को रक्षा सूत्र बांधती हैं। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है।