नैनीताल। नैनीताल उच्च न्यायालय ने डीएलएड (एनआईओएस) प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को भारी राहत दे दी है। न्यायालय ने राज्य सरकार को राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पदों की नियुक्ति प्रक्रिया की काउंसिलिंग में डीएलएड अभ्यर्थियों को भी शामिल करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। न्यायालय के इस ताजा आदेश के बाद राज्य भर के करीब 37 हजार डीएलएड अभ्यिर्थियों के प्राथमिक शिक्षक बनने की पात्रता की राह आसान हो गई है। अब डीएलएड अभ्यर्थी सहायक अध्यापक प्राथमिक के 2 हजार 648 पदों पर भर्ती प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे।
बृहस्पतिवार को यह निर्देश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की संयुक्त खण्डपीठ ने नंदन सिंह बोहरा एवं अन्य की याचिकाओं की सुनवाई करते हुए जारी किया है। इस मामले में पूर्व सुनवाई पर न्यायालय ने अभ्यर्थियों को सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने से रोकने वाले 10 फरवरी 2021 के शासनादेश पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी।
गौरतलब है कि नंदन सिंह बोहरा, निधि जोशी, गंगा देवी, सुरेश चंद्र गुरुरानी, संगीता देवी और गुरमीत सिंह ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। इसमें राज्य सरकार के 10 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सीडी बहुगुणा का कहना है कि याचिकाकर्ताओ ने 2019 में एनआईओएस के दूरस्थ शिक्षा माध्यम से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उनकी इस डिग्री को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय व एनसीटीई ने मान्यता दी है।
याचिकाकर्ताओ का कहना है कि 16 दिसम्बर 2020 को केंद्रीय मानव संसधान मंत्रालय ( अब शिक्षा मंत्रालय) 6 जनवरी 2021 एनसीटीई व 15 जनवरी 2021 को शिक्षा सचिव द्वारा उनको सहायक अध्यापक प्राथमिक में शामिल करने को कहा था। इस बीच सरकार ने 10 फरवरी को 2021 को यह कहते हुए काउंसिलिंग से बाहर कर दिया कि सरकार के पास कोई स्पष्ट गाइड लाइन नही है। इससे पहले याचिकाकर्ताओं के समस्त शैक्षणिक प्रमाण पत्र जमा हो चुके थे।
बृहस्पतिवार को यह निर्देश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की संयुक्त खण्डपीठ ने नंदन सिंह बोहरा एवं अन्य की याचिकाओं की सुनवाई करते हुए जारी किया है। इस मामले में पूर्व सुनवाई पर न्यायालय ने अभ्यर्थियों को सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने से रोकने वाले 10 फरवरी 2021 के शासनादेश पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी।
गौरतलब है कि नंदन सिंह बोहरा, निधि जोशी, गंगा देवी, सुरेश चंद्र गुरुरानी, संगीता देवी और गुरमीत सिंह ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। इसमें राज्य सरकार के 10 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सीडी बहुगुणा का कहना है कि याचिकाकर्ताओ ने 2019 में एनआईओएस के दूरस्थ शिक्षा माध्यम से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उनकी इस डिग्री को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय व एनसीटीई ने मान्यता दी है।
याचिकाकर्ताओ का कहना है कि 16 दिसम्बर 2020 को केंद्रीय मानव संसधान मंत्रालय ( अब शिक्षा मंत्रालय) 6 जनवरी 2021 एनसीटीई व 15 जनवरी 2021 को शिक्षा सचिव द्वारा उनको सहायक अध्यापक प्राथमिक में शामिल करने को कहा था। इस बीच सरकार ने 10 फरवरी को 2021 को यह कहते हुए काउंसिलिंग से बाहर कर दिया कि सरकार के पास कोई स्पष्ट गाइड लाइन नही है। इससे पहले याचिकाकर्ताओं के समस्त शैक्षणिक प्रमाण पत्र जमा हो चुके थे।