सोहन लाल परोपकारी लोक कलाकार एवं बेलीराम कनसवाल को सम्मानित किया

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सत्यप्रकाश ढौंडियाल
घनसाली
/टिहरी गढ़वालइंद्रमणि बडोनी कला एवं साहित्य मंच घनसाली के तत्वाधान में डॉक्टर (श्रीमती) वचन देई की 10 दसवीं पुण्यतिथि घनसाली के वाशुलोक होटल में मनाई गई जिसमें मंच के समस्त पदाधिकारी एवं क्षेत्रीय रंगकर्मी , जीवन कवि सामाजिक कार्यकर्ता तथा लोक कला, साहित्य प्रेमी मौजूद रहे ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ड्र.नरेन्द्र दत्त डंगवाल व्यापार मंडल अध्यक्ष घनसाली ने डॉक्टर वचन देई के लोक संगीत शैली राधाखडी उत्तराखंड के लोक संस्कृतिक विरासत के लिए जो कार्य किया है उसके लिए उन्हें आज याद कर उनको नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की उन्होंने कहा कि वचन देई उत्तराखंड में नहीं बल्कि देश-विदेश में राधाखंडी लोक शैली का प्रचार प्रसार के लिए जानी जाती है उनके गीतों और शैली पर 50 से अधिक लोगों ने पी एचडी डिलीट की उपाधि प्राप्त की है ।

कार्यक्रम मुख्य वक्ता के रूप में सत्य प्रकाश ढौंडियाल ने कहा लोक सांस्कृतिक विरासत को नई पीढ़ी के लिए मार्गदर्शी के साथ उत्तराखंड की विभिन्न विधाओं राधाखंडी ,चैती गायन , सदेई भड्डोली ,बाजूबंद , देश समाज के उनति के समसामयिक गीत आदि विभिन्न पहलुओं पर अपनी आवाज के जादू के साथ सन 70 के दशक में खूब तारीफ बटोरी है।

आज राधाखंडी की महान लोक गायिका के रूप में लोकप्रियता हासिल कर विरासत अपने शिष्यों को दी है। इन्होने 6 वर्ष की उम्र में अपनी दादी विजना देवी से लोक संगीत की विरासत को सीखा है और तत्कालीन राजा के समय में अपने लोक नृत्य एवं लोक संगीत राधाखंडि शैली की प्रस्तुति बाल्य काल से ही शुरू करती थी।
इसके चलते ही सन 1970_ 80 में उनके गीतों को रिकॉर्डिंग करने के लिए देश-विदेश के लोगों ने उनके गांव दोणी 11 गांव में आकर के उनके घर पर उस समय रिकॉर्डिंग का सिलसिला जारी किया और उनके गीत और 11 गांव हिंदाव उत्तराखंड के प्रवासी भारतीयों तक विदेशों तक पहुंचे इनकी ख्याति को लगातार देश विदेश के शख्सियतों ने सुनने के बाद देश विदेश से इनकी गायन शैली और गीतों पर पी एचडी और शोध करने के लिए उत्तराखंड के इनके गांव दोणी में पहुंचे।
देहरादून ,श्रीनगर के विश्वविद्यालय के प्रोफेसर व उनके छात्र गांव में ही आने लगे ।

वर्ष 2007 _0 8 में गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर के द्वारा इनको विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में लोक कला एवं निष्पादन केंद्र ,संगीत विभाग के छात्रों को चैती सदैव एवं राधाखडी, चैती गायन के लिए विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया।
इसके साथ ही उत्तराखंड सरकार के द्वारा इनके विभिन्न शैलियों व राधाखंडी शैली के लिए विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 2006 में उत्तराखंड विरासत की जूरी टीम ने इनको विरासत सम्मान 2006 से नवाजा गया है इसी के साथ इनको कई सरकारी तथा प्राइवेट सामाजिक संस्थाओं के द्वारा विभिन्न उपाधियों और सम्मान दिए गए हैं ।
आज इनको याद करते हुए श्री ढौंडियाल के द्वारा इनके द्वारा किए गए लोक संगीत राधाखंडी शैली, सदेई गायन आदि विभिन्न संगीत के क्षेत्र में किए गए कार्यों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कीहै।
आज इस कार्यक्रम में कला मंच के अध्यक्ष लोकेंद्र दत्त जोशी एडवोकेट के द्वारा वचन देई की सांस्कृतिक एवं साहित्य के क्षेत्र में किए गए योगदान के नमन करते हुए कहा कि उत्तराखंड सरकार को डॉक्टर वचन देई को सरस्वती माता के साथ स्थान देकर के साथ ही विभिन्न विद्यालयों में संगीत की देवी के रूप में पूजा जाना चाहिए उनके महान कार्यों को उनके महान गीतों राधाखंडी शैली को विद्यालयों में पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किया जाए,साथ ही उन्होंने कहा घनशाली में डॉक्टर वचन देई राधाखंडी विरासत की गायिका के नाम से संस्कृतिक भवन की व्यवस्था सरकार को करने चाहिए जिसमें प्रतिवर्ष डॉक्टर बच्चनदेय की स्मृति में आयोजित होने वाले श्रद्धांजलि कार्यक्रम को एक विशेष स्थान पर मनाया जा सके और उनके पौराणिक विरासत को एक म्यूजियम के तौर पर नई पीढ़ी के लिए मार्गदर्शी के रूप में रखा जा सके , प्रदर्शित किया जा सके जिससे पूर्वजों की विधाओं को विरासत के रूप में आने वाले समय में नई पीढ़ी के लिए संरक्षित और सुरक्षित रखा जा सके ।
उन्होंने कहा उनकी नातिन निधि ढौंडियाल को लोक गायिका वचन देई की शैली को आगे बढ़ाने के लिए धन्यवाद , आशीर्वाद दिया है और उज्ज्वल भविष्य की कामना की है ।
इस दौरान बॉबी सीरियल के द्वारा डॉक्टर वचन देई के स्मृति में उनकी जीवनी को उपस्थित जन समूह के सम्मुख पढ़कर सुनाया गया है तथा विभिन्न सम्मानों से नवाजे गए को भी उपस्थित जन समूह के सामने रखा गया है ।
मंच के संयोजक बेलिराम कंसवाल के द्वारा स्वर्गीय वचन देई के द्वारा सांस्कृतिक विरासत के क्षेत्र में किए गए कार्यों को याद करते हुए उन्होंने कहा है 11 गांव हिंदू लोक संस्कृति आंदोलनकरियों की धरती रही है उन्होंने इंद्रमणि बडोनी जैसे वचन दे जैसे लोक संस्कृति प्रेमी जानी जैसे लोगों को इस धरती में पैदा किया ।
जिन्होंने इस क्षेत्र की पहचान विश्व स्तर पर साझा की है ।
इसी क्रम में आरबी सिंह ने लोक संगीत के क्षेत्र में किए गए अनोखी कार्य को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है ।
कार्यक्रम में केशव गैरोला अध्यक्ष उत्तराखंड क. मिनिस्ट्रियल संघ के केशव गैरोला के द्वारा कहा की राधाखंडी शैली को आने वाली पीढ़ी के लिए नई बच्चों में सृजित करने के लिए सलाह दी और कहां की राधा खंडी शैली की गायन विधाएं विद्यालयों की विद्यालयों में क्रमबद्ध आयोजित की जानी चाहिए जो की बचन देई को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

प्रोग्राम में बोलते हुए साक्षी बडोनी के द्वारा उनकी वह याद आती है जब स्टूडियो में मंच पर वह गाना गाती थी और माइक को बंद करना पड़ता था क्योंकि उनकी आवाज इतनी तेज और सुरीली थी कि माइक की आवश्यकता नहीं होती थी उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि हमने अपने विद्यालय की ओर से ड.वचन देय और गुरुजी शिवचरण को तत्कालीन समय में सम्मानित करने का भी काम किया है। मेरा मानना है वह कहती हैं कि स्वर्गीय वचन देइ की राधाखंडी शैली को हम अपने विद्यालय में बच्चों के साथ प्रोग्राम करने के लिए नाटक के रूप में आगे लोक संगीत संस्कृति विरासत को आगे बढ़ने का भी कार्य करने का योजना साझा की।
इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में डॉक्टर नरेंद्र डंगवाल मुख्य वक्ता के रूप में सत्य प्रकाश ढौंडियाल तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता लोकेंद्र जोशी जी के द्वारा की गई तथा कार्यक्रम का संचालन विनोद लाल शाह के द्वारा किया गया। डॉ प्रकाश चन्द्र द्वारा सभी उपस्थित जनसमूह का वचनदेई फाउंडेशन के द्वारा स्वागत और अभिवादन किया गया तथा इस मौके पर सोहन लाल परोपकारी लोक कलाकार एवं बेलीराम कंसवाल जन कवि को उनके लोक संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में किए गाय कार्यों के लिए सम्मानित किया गया ।
इस दौरान ड वचन देई की गीतों की प्रस्तुति की स्मृति के रूप में सोहनलाल परोपकारी एवं निधि ढौंडियाल के द्वारा दी गई तथा ढोलक पर आयुष के द्वारा संगत की गई ।
कार्यक्रम में बेलीराम कंसवाल ,आरबी सिंह, केशव गैरोला ,साक्षी बडोनी, बेबी सीरियल, विकाश सेमवाल, पूर्व प्रधानाचार्य श्री कुकरेती ,सेवा निवृत शिक्षक श्री बडोनी जी ,आशुतोष बिस्ट ड.प्रकाश चंद्र, कृष्णा चन्द्र, प्रभात आदि सैकड़ो लोगों उपस्थित रहें।

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