देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि टिहरी के विस्थापितों को भूमिधरी अधिकार देने सहित अन्य मांगों को लेकर वह एक फरवरी को गांधी पार्क में मौन व्रत रखेंगे।
सोमवार को कांग्रेस भवन में पत्रकारों से वार्ता करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि राष्ट्र की प्रगति और भारत रूस मैत्री का जीवंत स्तभं टिहरी डैम उत्तराखण्ड का अभिमान है। आज एक विकसित उत्तराखण्ड की हमारी योजना का बडा आधार है और इस समय भी राज्य की अर्थव्यवस्था में बडा योगदान दे रहा है।
उन्होंने कहा कि यह सम्भव हुआ है टिहरी की महान जनता के सामूहिक त्याग से। अपने सुंदर घरों, अति उपजाऊ अपनी भूमि व अतुलनीय संस्कृति को राष्ट्र व समाज को समर्पित कर विस्थापित होना स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि इन विस्थापितों में सबसे चिंताजनक स्थिति हरिद्वार के पथरी क्षेत्र के भाग 1, 2, 3, 4 में बसे भाई बहनों की है। 42 वर्ष बाद भी यह लोग जिस भूमि में बसें है उसका भूमिधर का अधिकार इन्हें प्राप्त नहीं है। यहंा जोते जा रहे खेतों व अपने घरों के वह मालिक नहीं है। इन्हें बैंको सहित कोई ऋण सुविधा भूमि के आधार पर लेने का अधिकार नहीं है। स्वामी होते हुए भी स्वामित्व से वंचित है इन्हें सामान्य ग्रामवासी को प्राप्त कोई हक हकूक उपलब्ध नहीं है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि पथरी के विस्थापितों को भूमि धरी एवं पुर्नवास देने के लिए मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर इस प्रकरण का सकारात्मक निस्तारण किया जाये। वही वन विभाग द्वारा करवाए जा रहे सर्वेक्षण व उसके निष्कर्षो को वापस लिया जाये तथा विस्थापितों से किए गये वादों के पुनर्विक्षण हेतु मंत्री के साथ टीएचडीसी एवं पुनर्वास निदेशक की एक संयुक्त टीम बनायी जाये।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार विस्थापितों समस्याओं को गम्भीरता से नहीं लेती है तो एक फरवरी को वह गांधी पार्क में एक घंटे का मौन व्रत रखकर विस्थापितों के साथ धरने पर बैंठेगे। प्रेसवार्ता में पूरन सिह रावत, शान्ति प्रसाद भट्ट व विरेन्द्र पंवार भी मौजूद थे।