उत्तराखंड होगा 2025 तक पूरी तरह नशामुक्त : डीजीपी

प्रदेश में चार सालों में पकड़ा गया 62 करोड़ का नशा
देहरादून। पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड (डीजीपी) अशोक कुमार ने कहा कि वर्ष 2025 तक उत्तराखंड को नशा मुक्त प्रदेश बनाना है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में त्रिस्तरीय नारकोटिक्स टीम अगर सिंह भी थानाक्षेत्र में नशा पकड़ती है तो वहां के थानाप्रभारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया जायेगा।
पुलिस महानिदेशक मंगलवार को पुलिस मुख्यालय के सभागार में प्रदेश को नशामुक्त बनाने के संबंध में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों, थानाध्यक्षों, निरीक्षक व उप निरीक्षकों के लिए आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में बोल रहे थे। पुलिस महानिदेशक ने कहा कि मुख्यमंत्री ने वर्ष 2025 तक उत्तराखण्ड को नशामुक्त करने के लिए  नशा मुक्त देवभूमि  2025 का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके लिए  त्रिस्तरीय एण्टी नारकोटिक्स टास्क फोर्स  का राज्य, जनपद और थाना स्तर पर गठन किया गया है। कार्यशाला के माध्यम से उत्तराखण्ड पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों एवं अभियोजन के अधिकारियों द्वारा ड्रग्स के विरूद्ध कार्यवाही को और अधिक प्रभावी करने, प्रवर्तन और जनजागरण की कार्यवाही, विधिक और कानूनी रूप से मजबूत विवेचना करने के संबंध में विस्तार पूर्वक बताया गया।’
पुलिस महानिदेशक ने कहा कि ड्रग्स हमारे समाज का सबसे बड़ा अभिशाप है। किसी परिवार का बच्चा यदि ड्रग्स के जाल में फंस जाता है तो उस परिवार की जीवन भर की कमाई, इज्जत सब बरबाद हो जाती है इससे अच्छे-अच्छे परिवार भी बरबार हो जाते हैं। ड्रग्स को समूल नशा करना हमारी जिम्मेदारी है। ड्रग्स पूरी दुनियां में टेरर फंडिंग का सबसे बड़ा ’श्रोत है इस नाते हमारी डय़ूटी और अधिक बढ़ जाती है। ड्रग्स के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति अपनायें। सामाजिक, सवैंधानिक जिम्मदारी के साथ-साथ थानाध्यक्ष होने के नाते काफी जिम्मेदारी है।  मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार राज्य स्तर, जनपद स्तर एवं थाना स्तर पर एंटी नारकोटिक टास्क फोर्स का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य स्तर की टास्क फोर्स किसी थाने क्षेत्र पर जाकर ड्रग्स पकडती है, तो संबंधित थाना प्रभारी की भी जवाबदेही तय की जाएगी। पर्वतन, जागरूकता और पुर्नवास तीनों को साथ लेकर चलें। पूरी युवा शक्ति को सकारात्मक दिशा में लगाना है। सभी पुलिस अधिकारी अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को समझते हुए मुख्यमंत्री के सपने ड्रग्स फ्री देवभूमि को साकार करें। उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि युवा अपनी ऊर्जा को सकारात्मक क्रिया-कलापों खेल, पढाई, कल्चरल एक्टीविटी आदि में लगाएं और ड्रग्स से दूर रहें।’
कार्यशाला में अपर पुलिस महानिदेशक, अपराध एवं कानून व्यवस्था, उत्तराखण्ड- वी मुरूगेशन ने अभियुक्तों के विरूद्ध न्यायालयों में प्रभावी पैरवी, साक्ष्य प्रस्तुत करने के दृष्टिगत विवेचनाओं में गुणवत्ता लाये जाने के संबंध में बताया । गिरीश चन्द्र पंचौली- संयुक्त निदेशक, विधि, देहरादून एवं मनोज कुमार शर्मा- एडीजीसी, देहरादून ने न्यायालय में एनडीपीएस एक्ट से संबंधित मामलों में विचारण के दौरान पाई जाने वाली कमियों तथा वर्तमान तक आने वाली कमियों की पूर्ति विवेचना के दौरान करने के लिए भी विस्तारपूर्वक समझाया।
कार्यशाला में बताया गया कि नशे के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही करते हुए पूरे प्रदेश में वर्ष 2019 में 1558 अभियुक्तों के विरूद्ध कार्यवाही करके 11 करोड़ से अधिक का मादक पदार्थ बरामद किया गया। वर्ष 2020 में 1490 अभियुक्तों के विरूद्ध कार्यवाही करके लगभग 13 करोड़ का मादक पदार्थ बरामद किया गया। 2021 में 2165 अभियुक्तों के विरूद्ध कार्यवाही करके 26 करोड़ का मादक पदार्थ बरामद किया गया। इसी प्रकार वर्ष 2022 के प्रथम 06 माह में 794 अभियुक्तों के विरूद्ध कार्यवाही करके 12 करोड़ का मादक पदार्थ बरामद किया गया। कार्यशाला में पुलिस उपमहानिरीक्षक, गढ़वाल परिक्षेत्र करन सिंह नगन्याल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून दलीप सिंह कुंवर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ अजय सिंह के साथ ही अन्य पुलिस अधिकारी मौजूद थे।

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