देहरादून। चारधाम में 8 दिनों 20 तीर्थयात्रियों की मौत का पीएमओ द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद सरकार की हरकत में आ गई है। पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर का कहना कि चारधाम यात्रा पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं। सरकार लगातार लोगों के रहने, खाने और स्वास्थ्य की व्यवस्था को बढ़ा रही है। साथ ही बिना पंजीकरण आने वाले यात्रियों को किसी भी धाम में नहीं जाने दिया जा रहा है। सरकार श्रद्धालुओं की संख्या सीमित करने जा रही है। ताकि व्यवस्थाए खराब न हो।
वहीं, उत्तराखंड की स्वास्थ्य सचिव राधिका झा ने चारधाम यात्रा को लेकर मंगलवार देर शाम को एक बैठक की। बैठक में उन्होंने चारधाम यात्रा को लेकर महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश जारी किए। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ शैलजा भट्ट ने बताया कि यात्रा पर आने वाले लोगों को इतिहास के तौर पर अपनी रिपोर्ट के साथ ही स्वास्थ्य परीक्षण भी कराना होगा।
गौर तलब है कि तबीयत बिगडने के प्रमुख कारण है कि केदारनाथ धाम में तबीयत अगर बिगड़ रही है तो इसका एक कारण पर्याप्त गर्म कपड़ों का उपयोग नहीं करना, बिना डाक्टरी सलाह के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ट्रेकिंग, दिल की धड़कन तेज होने के बावजूद चलते रहना, पैदल मार्ग पर जंक फूड का सेवन करना भी है। इसके अलावा अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों, खासकर केदारनाथ और यमुनोत्री में ऑक्सीजन की कमी और लगातार चढ़ाई में रक्तचाप अनियमित होने के कारण लोग को सांस लेने में दिक्कत होती है। ऐसे में हृदय रोगियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
वहीं, यमुनोत्री और केदारनाथ के लिए काफी पैदल चलना पड़ता है। साथ ही रास्ता काफी चढ़ाई वाला भी है, जिसमें ब्लड प्रेशर और शुगर के मरीजों को परेशानी होती है। बता दें कि एक स्वस्थ्य व्यक्ति को सांस लेने के लिए 70 प्रतिशत ऑक्सीजन की जरूरत होती है। जबकि, आठ हजार फीट की ऊंचाई के बाद से ऑक्सीजन की जरूरत बढ़ने लगती है। इसके बाद केदारनाथ धाम में सांस लेने के लिए 87 फीसदी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है, लेकिन यहां पर मात्र 57 फीसदी ऑक्सीजन है, जिसकी वजह से बेचौनी, बेहोश होना व हार्ट अटैक जैसी घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है।