हरिद्वार। श्रद्धा भक्ति आश्रम के महंत की पुलिस ने गुत्थी सुलाते हुए चार अच् ऑपरेटरों को उपलब्ध कराया है। जबकि अन्य की तलाश जारी है. अलक्षित लक्षेन की ग्रीनफ़री भी कर चुकी है।
अच्छा आश्रम की हत्या, बश्चिमती अश्वत बानी बानी। एसएसपी कार्यालय रोशनाबाद में घटना का खुलासा करते हुए एसएसपी प्रमेंद्र डोभाल ने बताया कि रुद्रानंद पुत्र श्यामलहरि गिरी निवासी रायवालारी गीता आश्रम बिरला मंदिर देहरादून की 17 अक्टूबर को मृत्यु हो गई थी। महंत गोविंद दास शिश्नी बिशंबर दास महाराज निवासी श्रद्धा भक्ति आश्रम ज्ञानलोक कॉलोनी कांधल लापता थे राजस्थान से आश्रम जाने और वापस न आने के संबंध में कनखल थाने में मामला दर्ज कराया गया है।
इस मामले में एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोबाल के निर्देशन, एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह और सीओ सिटी जूही मनराल के निर्देशन में पुलिस ने शोभित और लापता महंत के परिचितों से पूछताछ के बाद आश्रम के कर्मचारी मनीषानंद के बारे में पता लगाया। कि जून 2024 से आश्रम में एक नया बाबा बैठा है एसएसपी ने बताया कि जांच में कुछ लोगों की भूमिका संदिग्ध थी, आश्रम में नये बाबा रामगोपाल नाथ के बैठने के बाद पुलिस की कई चरणों की पूछताछ के बाद पूरी घटना पर से पर्दा उठा और हत्या का मामला सामने आया. महंत की जांच में मुख्य आरोपी की भूमिका सामने आईएसएसपी ने बताया कि घटना का मास्टरमाइंड अशोक फरवरी 2024 में आश्रम और उसके आसपास के इलाकों में कपड़े बेचने आया था और कभी-कभी एक या दो दिन के लिए आश्रम आता था. मेरे पास एक अच्छा विकल्प है और फिर. वह आश्रम के बाबा को 2021 से जानता था।
मुख्य आरोपी अशोक अपने दोस्तों ललित, सौरभ और प्रदीप को समय-समय पर आश्रम में बुलाता रहता था. इस दौरान अशोक वापस चला गया और अपने साथियों ललित, सौरभ और प्रदीप के साथ मिलकर महंत के पास जाकर साजिश रची। योजना के मुताबिक सभी दोस्तों ने सबसे पहले आश्रम के सभी सीसीटीवी कैमरे हटा दिए और 01 जून 2024 को मौका देखकर महंत राम गोविंद दास को पहले नशीला इंजेक्शन देकर बेहोश किया और फिर गला दबाकर हत्या कर दी. इसके बाद आरोपियों ने किराये की नाव के सहारे कट्टे में रखे शव को ले जाकर गंगा नदी में फेंक दिया. महंत की हत्या के बाद 3 जून को अशोक ने अपने परिचित नकली बाबा रामगोपाल नाथ को आश्रम की निगरानी के लिए पैसे की रिश्वत दी और नकली बाबा को अंधेरे में रखकर महंत के धर्म का प्रचार करने के लिए अयोध्या जाने को कहा। आरोपियों ने कहा कि अगर कोई महंत के बारे में पूछे तो महंत अयोध्या में होंगे। फर्जी बाबा को अशोक ने बाकी लोगों के साथ उठने-बैठने और खाने-पीने के लिए बुलाया था, कुछ दिन बाद आश्रम के संचालक की हत्या की खबर सामने आई, लेकिन समय-समय पर आश्रम को बेचने से उन्हें बड़ा मुनाफा मिला एसएसपी ने बताया कि आश्रम की जगह तलाशने के बाद उसे बाबा को बेच दिया गया था. इसके लिए आरोपी अशोक ने संजीव त्यागी, जो कि एक प्रॉपर्टी डीलर है, के साथ मिलकर आश्रम को बेचने के लिए महंत द्वारा हस्ताक्षरित एक फर्जी वसीयत तैयार की। अब तक अग्या में अच 06 अचुक्त में हिस्सा है, पुराने दिनों की सलिप्ता की भी अबोरों की अनुवार की सुल्प्ता की जूती जा रही है।
एसएसपी प्रमेंद्र डोभाल ने बताया कि महंत की करोड़ों की संपत्ति हड़पने के मकसद से मास्टरमाइंड अशोक ने अपने साथियों के साथ मिलकर घटना को अंजाम दिया था. मुख्य आरोपी महंत की हत्या के बाद वह करीब 50 लाख की एफडी, चेक बुक, मोबाइल फोन और अन्य दस्तावेज अपने साथ ले गया और गुमराह करने के लिए मृतक के मोबाइल फोन में अलग-अलग सिम कार्ड डाल दिए. अहाप चका भी हप्त की रकम की बी हैब के बैंक कैक कर फर्जी कर पर फी कर फैक कर फी कर पर फैक कर फैक कर फेक कर देखा के बैंक। बाद में बाड लैक्सन की एफडी, जिसके मूल कागजात वार्ड हैन में बरामद हुए हैं, को कायश करने की फिराक में गुम था, लेकनगल पुलिस से बच सका न। वे आरोपी संजीव त्यागी के साथ मिलकर आश्रम की फर्जी वसीयत बनाकर आश्रम को 10 करोड़ में बेचने का सौदा तैयार कर रहे थे।
एसएसपी ने बताया कि पिछले 04 महीने से महंत का मोबाइल फोन बंद है और कोई खबर नहीं है, यहां तक कि आश्रम के किसी भी व्यक्ति ने पुलिस को भी सूचना नहीं दी है, महंत के एक प्रमुख रुद्रानंद जो कि परशुराम अखाड़े से जुड़े हुए हैं. संदिग्ध है। थाना कनखल पर 17 उक्तर 2024 को महंत की गुमशुदगी दर्ज कराई गई। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए 24 घंटे बाद ही दरवाजा खुलवाया. घटना में शामिल मुख्य आरोपी अशोक, ललित और आपराधिक साजिश में शामिल रामगोपाल नाथ और संजीव त्यागी को थाना क्षेत्र से हिरासत में ले लिया गया है. अन्य 02 अभियुक्तों सौरभ एवं प्रदीप की तलाश अभी जारी है। आरोपी की गिरफ्तारी के बाद थाने की पुलिस टीम को लगाया गया.