देहरादून। नेता प्रतिपक्ष व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता यशपाल आर्य ने कहा है कि निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ सरकारी नौकरियंा देना केन्द्र व राज्य सरकारों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। संघ लोक सेवा आयोग और राज्य लोक सेवा आयोग को अस्तित्व में इसलिए लाया गया था कि नौकरियां केवल योग्य उम्मीदवारों को ही मिल सके। उत्तराखण्ड में सरकारी नौकरियों में हुई धांधलेबाजी से राज्य की जनता निराश हुई है। इसलिए सभी भर्तियों की सीबीआई या उच्च न्यायालय में वर्तमान न्यायधीश से इसकी जांच करायी जाये।
कांग्रेसी नेता यशपाल आर्य का कहना है कि उत्तराखण्ड में राज्य लोक सेवा आयोग राज्य की अधीनस्थ सेवाओं और ग्रुप सी के पदों के लिए भर्ती नहीं कर पा रहा था इसलिए राज्य गठन के बाद गु्रप सी और अधीनस्थ सेवा के पदों पर नियुक्ति के लिए कई व्यवस्थाएं बनायी गयी। यह व्यवस्थाएं भी नाकाफी साबित हुई और इनके भी नकल माफियाओं के हाथों बिकने की बाते सामने आने लगी। इस पर विधानसभा में कानून पास करा कर उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्थापना की गयी। लेकिन नकल माफिया पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा। उन्होने कहा कि पिछले कुछ सालों से युवा व बेरोजगार वर्ग नकल माफिया के खिलाफ आवाज बुलन्द कर रहे थे तथा हर परीक्षा के बाद बेरोजगार संघ और युवा पुलिस व सरकार को ज्ञापन देकर इसकी जांच कराने की मांग कर रहे थे।
बेरोजगारों के संघर्षाे तथा कांग्रेस के विधायकों द्वारा हर सत्र में इन भर्तियों की जांच कराने की मांग की जाती रही थी। आखिर मुख्यमंत्री द्वारा बेरोजगारों और विपक्ष की मांग सुनी गयी और मामले में एसटीएफ से जांच करायी गयी जिसमें कुछ गिरफ्तारियां तो हुई लेकिन जो तथ्य सामने आये उसने राज्य वासियों की चितांए बढ़ा दी। इसलिए इन सभी भर्तियों की जांच सीबीआई अथवा उच्च न्यायालय के वर्तमान जज से करानी चाहिए तभी दूध का दूध और पानी का पानी हो सकेगा।