देहरादून। पेपर लीक मामले की जांच जैसेकृजैसे आगे बढ़ रही है तथा विधानसभा में हुई बैकडोर भर्तियों का मुद्दा तूल पकड़ रहा है उससे अब नेताओं की नींद हराम होती दिख रही है। कल तक जो नेता बड़ी दबंगई के साथ अपनों को नौकरी देने के फैसले को सही ठहरा रहे थे अब उनके स्वर बदल चुके हैं। उनके द्वारा अब न सिर्फ अपनी गलतियंा स्वीकार की जा रही है बल्कि वह प्रदेशवासियों से माफी भी मांग रहे हैं। क्योंकि उन्हें अब अपना राजनीतिक कैरियर खतरे में आता दिख रहा है।
प्रदेश भर में जनता के बीच तो उनकी छवि तार-तार हो ही रही है। पार्टी के अंदर भी उन्हें खरी-खोटी सुनने को मिल रही है और उनके खिलाफ कार्रवाई होने का खतरा सर पर मंडरा रहा है।
विधानसभा में हुई बैक डोर भर्तियों पर सिर्फ पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ही लपेटे में नहीं आ रहे हैं अपितु जिन जिन नेताओं के परिजन और सगे संबंधियों को नौकरियां मिली है। वह भी टारगेट पर आ चुके हैं। अब तमाम नेता इस पर सफाईयंा दे रहे हैं कि मैंने किसी की सिफारिश नहीं की या मेरा कोई नाते रिश्तेदार नौकरी पर नहीं रखा गया। लेकिन किस-किस ने लाभ लिया इसका खुलासा हो चुका है। विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी का एक्शन क्या होगा। इस पर सभी की नजरें टिकी है और जांच का दबाव भी लगातार बढ़ता जा रहा है। पूर्व स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल और प्रेमचंद अग्रवाल के स्वरों में अब पहले जैसी तल्खी नहीं दिख रही है। उन्हें अपनी गलती का एहसास हो चुका है या फिर चौतरफा हो रही अपनी और पार्टी की किरकिरी से वह कितने डरे सिहरे हैं, यह वही जाने लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान उनका ही होता दिख रहा है।
उधर यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले में जो 30 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं उन पर एसटीएफ और ईडी बड़ी कार्रवाई करने जा रही ह।ै उनके द्वारा अवैध तरीके से बनाई गई संपत्तियों को जप्त करने की तैयारी हो चुकी है। टीमों को संबंधित जिलों में भेजा जा चुका है इन आरोपियों की आर्थिक रूप से कमर तोड़ने की तैयारी चल रही है। इन आरोपियों से अब तक करीब एक करोड़ की बरामदगी हो चुकी है लेकिन यह मामला सैकड़ों करोड़ का है। वही दूसरी तरफ आयोग के अधिकारियों पर शिकंजा कसने की तैयारी चल रही है क्योंकि उनकी भूमिका भी संदिग्धता के दायरे में आ चुकी है।