दायित्वधारियों कि फर्जी सूची भाजपा मुश्किल में, शातिरों की तलाश शुरू

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देहरादून। बीते रोज सोशल मीडिया पर वायरल हुई दायित्व धारियों की सूची ने भाजपा को बड़ी मुश्किल में फंसा दिया है। इस सूची में जिन लोगों के नाम शामिल हैं वह तमाम पार्टी के जानेकृमाने नेता और कार्यकर्ता है। भाजपा जो अपने आप को सबसे अनुशासित पार्टी बताती है उसमें किस नेता या पार्टी कार्यकर्ता की इतनी हिमाकत हो सकती है कि वह पार्टी की गोपनीय जानकारी को सार्वजनिक करने की गुस्ताखी कर सके? यह एक अहम सवाल है। वही दूसरा सवाल यह है कि जिन नेताओं के नाम इस सूची में हैं अब अगर उन्हें कोई दायित्व नहीं दिया जाता है तो उनकी नाराजगी भी स्वाभाविक होगी क्योंकि वह इसे अब अपना मजाक बनाया जाना ही समझेंगे।

एक सवाल यह भी है कि प्रदेश अध्यक्ष जब इस सूची को फर्जी बता चुके हैं तो इस पर स्वीकृत सूची की मोहर लगा पाना संभव नहीं है। महेंद्र भटृ का कहना है कि यह पार्टी के खिलाफ एक बड़ा षड्यंत्र है यह सूची किसने तैयार की और क्यों की? सूची तैयार करने वाले का इसके पीछे क्या उद्देश्य है? तथा यह सूची कहां से वायरल हुई इसका पता लगाया जाना जरूरी है। इसके लिए प्रदेश भाजपा द्वारा एक इंटरनल जांच बैठा दी गई है वही पार्टी इस काम में साइबर क्राइम की पुलिस टीम की सहायता लेगी जिससे यह पता लगाया जा सके कि वह पहला व्यक्ति कौन है जिसके मोबाइल से यह सूची शेयर की गई है। भटृ का मानना है कि किसी चतुर चालाक और शरारती तत्वों का यह कारनामा है। उनका कहना है कि इसका पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि वह व्यक्ति कौन है।

भाजपा के लोगों का मानना है कि यह काम कोई बाहर का व्यक्ति या किसी दूसरे दल का नेता या कार्यकर्ता नहीं कर सकता है न ही कोई आम आदमी इस तरह की हरकत कर सकता है यह पार्टी के अंदर के ही किसी जयचंद का काम है। देखना होगा कि भाजपा कब तक और कैसे उस तक पहुंच पाती है। लेकिन भाजपा नेताओं को इस सूची ने मुश्किल में जरूर डाल दिया है जिसमें 51 नेताओं को दायित्वों का बंटवारा किया गया है।

जबकि कुछ भाजपा के नेता और कार्यकर्ताओं मे इस सूची को लेकर यह भी कानाफूसी हो रही है कि जो सूची वायरल हुई है वह वास्तविक सूची ही है। लेकिन अब घोषणा से पहले इस सूची के वायरल हो जाने पर इसे फर्जी बताया जा रहा है। अगर यह सच है तो यह और भी गंभीर मामला है सच क्या है? इसे सिर्फ भाजपा के शीर्ष नेता ही जानते होंगे। लेकिन इस सूची का उचित मंच से घोषणा से पूर्व ही वायरल होना भाजपा के प्रदेश नेताओं के लिए बड़ी समस्या जरूर बन गया है।

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