आडवाणी : भाजपा को फर्श से अर्श पर पहुंचाने वाले योद्धा

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देहरादून। भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री रहे लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने की सूचना स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी। भारतीय जनता पार्टी को बुलंदियों तक पहुंचाने का श्रेय लालकृष्ण आडवाणी को ही जाता है, जब 1990 में राम मंदिर आंदोलन के दौरान निकाली गई उनकी रथ यात्रा ने भाजपा को ‘फर्श से अर्श’ पर पहुंचा दिया।
वर्तमान पाकिस्तान के कराची में 8 नवंबर 1927 को जन्में लालकृष्ण आडवाणी वर्ष 1951 से 1957 तक जनसंघ के रहे। जनसंघ के संस्थापक डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के करीबी रहे आडवाणी ने 1973 से 1977 तक भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष का दायित्व संभाला। तत्पश्चात, वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद से 1986 तक लालकृष्ण आडवाणी पार्टी के महासचिव रहे। इसके बाद 1986 से 1991 तक पार्टी के अध्यक्ष पद का उत्तरदायित्व भी उन्होंने संभाला। इस दौरान 1990 में राम मन्दिर आन्दोलन के दौरान उन्होंने सोमनाथ से अयोध्या के लिए राम रथ यात्रा निकाली। हालांकि आडवाणी को बीच में ही गिरफ़्तार कर लिया गया पर इस यात्रा के बाद आडवाणी का राजनीतिक कद और लोकप्रियता को चरम पर पहुंच गई। 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद अभियुक्त बनाये गए लोगों में आडवाणी का नाम भी शामिल रहा।
लालकृष्ण आडवाणी तीन बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं। आडवाणी चार बार राज्यसभा के और पांच बार लोकसभा के सदस्य रहे। वर्ष 1977 से 1979 तक वह पहली बार केंद्र सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री रहे। अटल बिहारी बाजपेई की सरकार में आडवाणी भारत के उप प्रधानमन्त्री बने। लालकृष्ण आडवाणी को 1999 में एनडीए की सरकार बनने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में गृह मंत्री बनाया गया। इसके बाद 29 जून 2002 को आडवाणी को उप प्रधानमन्त्री पद का दायित्व भी सौंपा गया।
लालकृष्ण आडवाणी ने वर्ष 2013 में सभी को आश्चर्यचकित करते हुए अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया, और नरेंद्र मोदी को भाजपा ने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर घोषित किया। लेकिन 2014 में उन्हें दोबारा से लोकसभा सदस्य के रूप में चुना गया। लेकिन, तब तक नरेंद्र मोदी युग का आरंभ हो चुका था।

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