देहरादून। ‘अग्याल’ सामाजिक एवं सांस्कृतिक सरोकारों के लिए समर्पित संस्था विगत दस वर्षों से समाज के बीच अपना योगदान देने के लिए निरन्तर प्रयास कर रही है। संस्था के संस्थापक एवं महासचिव श्री प्रभाकर ढौंडियाल ने बताया कि संस्था ने 17 अप्रैल 2022 को अपने स्थापना दिवस पर 10 वर्ष पूरे कर लिए है, जिसके अंतर्गत संस्था अपनी पत्रिका “अग्याल रैबार” का प्रथम संस्करण प्रकाशित कर रही है, जिसका विमोचन माननीय विधायक रायपुर श्री उमेश शर्मा ‘काऊ’ जी के कर कमलों द्वारा किया गया। मियांवाला देहरादून स्थित, कलिनरी कॉलेज ऑफ़ होटल मैनेजमेंट में आयोजित कार्यक्रम में इस अवसर पर भूतपूर्व अध्यक्ष डा० एम० एस० राणा ने बताया कि कुछ दिनों पूर्व ही संस्था की नई कार्यकारिणी का भी गठन किया गया, जिसके अंतर्गत निर्विरोध रूप से अध्यक्ष पद हेतू डॉ० नीता कुकरेती को चुना गया था, डा० राणा ने नई कार्यकारिणी एवं नव निर्वाचित अध्यक्षा को तथा संस्था की प्रथम पत्रिका के लिए शुभकामनायें दी। इसी क्रम में संस्था की अध्यक्षा डा० नीता कुकरेती ने कविता पाठ करते हुए सभी को मंत्र मुग्ध किया, इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि संस्था समाज में बदलाव लाने के लिए उत्कृष्ट कार्य कर रही है, वह संस्था को भविष्य में और ऊंचाईयों तक ले जाने का प्रयास करेंगी।
इस अवसर पर बोलते हुए संस्था के उपाध्यक्ष श्री सोमनाथ बलोदी में कहा कि वह संस्था से के फाउंडेशन दिनों से संस्था के साथ जुड़े हुए हैं संस्था में जुड़े हुए सभी सदस्यों ने आज तक अपनी धनराशि लगाकर संस्था को सुदृढ़ एवं संकल्पित बनाने का कार्य किया है सभी सदस्य तन, मन एवं धन से सामाजिक कार्य में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं चाहे वह स्वास्थ्य शिविर हो रक्तदान हो या पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई कार्य हो, सभी कार्यों को बड़ी तन्मयता एवं निष्ठा से पूरा किया जाता है। इसी क्रम में संस्था के संस्थापक एवं वरिष्ठ सदस्य श्री अर्जुन सिंह बिष्ट ने भावुक होते हुए अपने विचारों को रखा, उन्होंने कहा कि वह संस्था के प्रथम दिन से संस्था के साथ जुड़े हुए हैं याद करते हुए उन्होंने कहा संस्था के प्रारंभिक दिनों में सभाएं संस्था के संस्थापक एवं महासचिव श्री प्रभाकर ढौंडियाल के साथ पहले अपने घरों में, पार्क में आदि सार्वजनिक स्थानों पर हुआ करती थी उन दिनों में केवल चार पांच सदस्य ही संस्था से जुड़े हुए थे, शुरुआती दिनों में संस्था के सदस्य स्वयं गाँधी पार्क व घंटाघर पर नुक्कड़ नाटक भी किया करते थे, जिससे युवा पीढ़ी संस्था की ओर आकर्षित होने लगी और इसी प्रकार संस्था के सदस्यों की संख्या में वृद्धि होने लगी, सदस्य सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर रूचि लेने लगे, और देखते ही देखते लोग जुड़ते गये और कारवां बढता गया, संस्था को आज 10 वर्ष पूरे हो गए हैं, इस दौरान संस्था को कई मुश्किलों और दुश्वारियां का सामना भी करना पड़ा, मगर संस्था के सदस्यों का साहस व मनोबल इतना ऊंचा था कि कोई कठिनाई हमें डिगा नहीं सकी और हम सामाजिक उत्थान के लिए निरंतर अपने पथ पर अग्रसर एवं कार्यरत रहे, और वह कहते हैं ना की ‘लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती’, कुछ इसी जज्बे को लेकर हम लोग आगे बढ़ते रहें, अग्याल के 10 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एवं अग्याल रैबार के प्रथम संस्करण के प्रकाशन के उपलक्ष में सभी सदस्यों को तथा विशेष रूप से संपादक महोदय को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।
इसी क्रम में संपादक राजेश सिंह राणा ने अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि मैं संस्था के गठन के एक वर्ष पश्चात ही संस्था से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जून 2013 में हुई केदारनाथ आपदा में संस्था के कुछ सदस्यों ने अपनी जान जोखिम में डालकर केदारनाथ के समीप के गांवों तक पहुंच कर वहां के गांव में जिस प्रकार से रसद, स्वास्थ्य सुविधाएं और राशन इत्यादि की पूर्ति की, वह कार्य अत्यंत ही साहसिक व सराहनीय रहा, उस आपदा के बाद से अग्याल संस्था को एक नई दिशा एवं एक नया कार्य क्षेत्र में भी कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ, हम उत्तराखंड के दूरस्थ जिलों में स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने लगे, साथ ही प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान के तहत तृतीय-केदार तुंगनाथ से हमने अपने स्वच्छता अभियान की भी शुरुआत की, जिसके तहत चोपता से मंदिर के प्रांगण तक की सफाई तथा चोपता में कूड़ेदान लगाने की व्यवस्था भी शामिल थी। लेकिन मेरे मन में शुरू से ही इन सभी कार्यों को एक लिपि-बध करके एवं एक संदेश के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाना चाहते थे, मैं और महासचिव श्री प्रभाकर ढौंडियाल निरंतर इस विषय पर वार्ता भी करते रहते थे कि किस प्रकार से हम अपनी इस अग्याल रैबार का संपादन एवं प्रकाशन कर सकते हैं, हालाँकि 2 वर्ष पूर्व लगभग संपादन कार्य पूरा होने के पश्चात भी कोरोना महामारी के चलते मैगजीन का प्रकाशन टालना पड़ा, लेकिन आज रैबार के प्रकाशन की अवसर पर आज मुझे हर्ष की अनुभूति हो रही है, मैं महासचिव श्री प्रभाकर ढौंडियाल का धन्यवाद करना चाहूँगा, जिन्होंने मुझ पर पत्रिका संपादन के लिए पूरा विश्वास दिखाया तथा अग्याल परिवार के सभी सदस्यों को कोटि-कोटि धन्यवाद देना चाहूंगा, जिन्होंने रैबार के प्रकाशन में तन, मन और धन से सहयोग दिया।
इस अवसर पर अग्याल के श्री सोमदत्त बलोदी, श्री भगवान सिंह, श्री प्रदीप बिष्ट, श्री राकेश खंतवाल, श्री पंकज पन्त, श्री अर्जुन बिष्ट,श्री भूपेंद्र चौहान, श्री दीपक रावत, श्री राजेश सिंह राणा, श्री एम एस खरोला, श्री मनोज अगरवाल, श्री आदित्य रावत, श्रीमती कविता ढौंडियाल, आदि लोगों ने प्रतिभाग किया।