मानसून के बाद पर्यटक गायब, होटल, रिसॉर्ट, होमस्टे खाली,बाजार सूने

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विकासनगर। मानसून आने के बाद भारी बारिश से हुए भूस्खलन से जौनसार बावर क्षेत्र के कई रास्ते बंद हो गए है। जिससे प्रभावित लोग अपने क्षेत्रों में ही कैद होने के मजबूर हो गए है। भारी बारिश का असर पूरी तरह से पर्यटन व्यवसाए में भी देखने को मिल रहा है।  चकराता क्षेत्र के अधिकतर होटल, रिसॉर्ट, होमस्टे खाली हैं। मानसून की शुरुआत होते ही सैलानियों ने चकराता से अपना रुख मोड़ लिया। जिस कारण यहां व्यापार पूरी तरह से प्रभावित हो गया है। चकराता का व्यापार पूरी तरह से पर्यटन व्यवसाय पर ही निर्भर है। यहां का व्यापार अब केवल पर्यटन पर ही निर्भर रह गया है। ऐसे में पर्यटके न आने से व्यापारियों के सामने समस्या उत्पन्न हो गई है।

होटल व्यवसाय से जुड़े विवेक अग्रवाल राहुल चांदना अमित जोशी, विकास अग्रवाल, अनिल बिजलवान, कुंवर सिंह राणा, टीकाराम शाह, चंदन रावत आदि बताते हैं कि बरसात शुरू होते ही पर्यटकों ने चकराता से दूरी बना ली थी,जिस कारण सभी होटल के कमरे अधिकतर खाली पड़े रहते हैं और हमारी आजीविका केवल होटल व पर्यटन व्यवसाई पर ही निर्भर है।

रिसॉर्ट और होमस्टे से जुड़े नितेश असवाल, दिनेश चैहान, जयवीर चैहान, रघुवीर चैहान, आशीष भट्ट, अनुपम तोमर, अजीत चैहान, पीयूष जोशी, मिक्की जोशी आदि बताते हैं कि लाखों रुपए खर्च कर कॉटेज रिसॉर्ट होमस्टे बनाए गए हैं और केवल रोजगार पर्यटन सीजन पर ही आधारित है। रखे गए गए कर्मचारियों को साल भर का वेतन अपने जेब से देने को मजबूर हैं।
वहीं छावनी बाजार के स्थानीय व्यापारी व्यापार मंडल अध्यक्ष केशव सिंह चैहान, सचिव अमित अरोड़ा, नैन सिंह राणा, अशोक कुमार गोयल, प्रताप सिंह चैहान, रविंद्र चैहान, सुभाष चैहान, रविंदर रावत, राजेंद्र राणा, दर्शन बिष्ट आदि बताते हैं कि आज से 10 साल पूर्व यहां का व्यापार स्थानीय ग्रामीणों, सेना व चकराता स्थित कार्यालयों के कर्मचारियों आदि लोगों पर निर्भर रहता था, लेकिन कुछ समय से प्रत्येक गांव में मोटर मार्ग जुड़ने के कारण ग्रामीण हर छोटी-बड़ी खरीदारी करने विकासनगर बाजार का रुख करते हैं।

पर्यटक को ना आने से बाजार पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है और दूसरा कारण यह भी है कि आजकल अधिकतर लोग ऑनलाइन माध्यम से खरीदारी कर रहे हैं और ऑनलाइन खरीदारी वाली कंपनियां घर में सामान की डिलीवरी कर रही है। जिसका सीधा नुकसान स्थानीय व्यापारियों को झेलना पड़ रहा है।

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