नैनीताल। नैनीताल उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को एक महत्वपूर्ण फैसले में डीएलएड (एनआईओएस) प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को राप्राविद्यालयों में सहायक अध्यापक के पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। इस ताजा आदेश से राज्य भर के करीब सैंतीस हजार से ज्यादा डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले युवाओं को लाभ मिलेगा। इसके साथ ही न्यायालय ने सचिव शिक्षा के दस फरवरी 2021 के आदेश को भी निरस्त कर दिया है।बुधवार को यह आदेश नंदन सिंह बोहरा, निधि जोशी, गंगा देवी, सुरेश चंद्र गुरुरानी, संगीता देवी और गुरमीत सिंह एवं अन्य की याचिकाओं की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की संयुक्त खण्डपीठ ने जारी किया। याचिकाकर्ताओं इन याचिकाओं में राज्य सरकार के 10 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया कि उन्होंने 2019 में एनआईओएस के दूरस्थ शिक्षा माध्यम से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उनकी इस डिग्री को मानव संसाधन मंत्रालय भारत सरकार व एनसीटीई द्वारा मान्यता दी गयी।
याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना है कि 16 दिसम्बर 2020 को मानव संसाधन मंत्रालय भारत सरकार, 6 जनवरी 2021 एनसीटीई व 15 जनवरी 2021 को शिक्षा सचिव द्वारा उनको सहायक अध्यापक प्राथमिक में शामिल करने को कहा था। राज्य सरकार ने 10 फरवरी 2021 को यह कहते हुए उन्हें काउंसिलिंग से बाहर कर दिया कि सरकार के पास कोई स्पष्ट गाइड लाइन नहीं है। जबकि इससे पहले याचिकाकर्ताओं के समस्त शैक्षणिक प्रमाण पत्र जमा हो चुके थे। सहायक अध्यापक प्राथमिक में 2 हजार 648 पदों पर भर्ती प्रक्रिया गतिमान है। इसलिए उन्हें इस प्रक्रिया में शामिल किया जाय।
याचिकाकर्ताओं की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता सीडी बहुगुणा ने यह तर्क दिया कि सचिव ,शिक्षा विभाग का प्रश्नगत आदेश 16 दिसम्बर 2020 व एनसीटीई़ के आदेश 6 जनवरी 2021 के विपरीत होने के कारण निरस्त किये जाने योग्य है। यह भी कहा कि सहायक अध्यापक (प्राथमिक) के पदों पर नियुक्ति के लिए अर्हता निर्धारित करने का प्रथम अधिकार भारत सरकार द्वारा नियुक्त संस्था एनसीटीई को है और प्रदेश सरकार एनसीटीई द्वारा जारी आदेशों व निर्देशों का अनुपालन किये जाने के लिए बाध्य है। सरकार की तरफ से कहा गया कि सहायक अध्यापक (प्राथमिक) सेवा नियमावली में दूरस्थ शिक्षा माध्यम से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को शामिल किए जाने का कोई प्रावधान नहीं है। न्यायालय ने सभी याचिकाओं को सुनने के बाद अंतिम रूप से निस्तारित कर दिया है।
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