पांच चुनावी राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, मणिपुर और गोवा में पिछले दशक मे सबसे ज्यादा 30 प्रतिशत मतदाता बढ़ोत्तरी उत्तराखंड में

उत्तराखंड की अनुमानित जनसंख्या 1.35 करोड़ से ज्यादा

एसडीसी फाउंडेशन ने विधानसभा चुनाव-2022 पर आठवीं और अंतिम रिपोर्ट जारी की – सिटीजन इंगेजमेंट, वोटर अवेयरनेस, पलायन, महिला सशक्तिकरण और डेमोग्राफिक चेंज रहा है संस्था का चुनावी फोकस*

देहरादून।
उत्तराखंड में मतदाताओं की संख्या में पिछले दस वर्षों मे बहुत बड़ा उछाल आया है। देश के जिन पांच राज्यों में हाल में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, उनमें मतदाता प्रतिशत की संख्या में 2012 से 2022 की अवधि मे सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी उत्तराखंड में हुई है।
यह बढ़ोत्तरी ज्यादातर राज्य के शहरी जिलों और शहरी क्षेत्रों में हुई है। एसडीसी फाउंडेशन की ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। फाउंडेशन ने शनिवार को अपने चुनावी फोकस सिटीजन इंगेजमेंट, वोटर अवेयरनेस, पलायन, महिला सशक्तिकरण और डेमोग्राफिक चेंज के तहत विधानसभा चुनाव-2022 पर अपनी आठवीं और अंतिम रिपोर्ट ‘डिकेडल इलेक्टोरल ग्रोथ एंड डेमोग्राफिक चैंजेज 2012-2022’ जारी की।
एसडीसी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने बताया कि उनकी संस्था ने जिन पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, उनके मतदाता संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण किया तो यह गंभीर तथ्य सामने आया। इस विश्लेषण में उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश, पंजाब, मणिपुर और गोवा को शामिल किया गया।
अनूप नौटियाल के अनुसार 2012 से 2022 तक 10 वर्षों में उत्तराखंड में मतदाताओं की संख्या में 30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। पंजाब में यह बढ़ोत्तरी 21 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 18/19 प्रतिशत, मणिपुर में 14 और गोवा में 13 प्रतिशत दर्ज की गई। उनका कहना है कि अन्य राज्यों की तुलना में उत्तराखंड में मतदाता प्रतिशत की संख्या में इतनी भारी बढ़ोत्तरी होना अप्रत्याशित है और यह कई सवालों को भी जन्म देती है।
अनूप नौटियाल के अनुसार इसमें से कुछ हिस्सा पहाड़ों से पलायन कर ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल जैसे मैदानी जिलों में बसने वाले लोगों का हो सकता है, लेकिन सिर्फ प्रदेश स्तर पर यह बढ़ोत्तरी 30 प्रतिशत होना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि यह जांच का विषय है कि क्या उत्तराखंड में बड़ी संख्या में बाहरी राज्यों से आने वाले लोग सुनियोजित तरीके से बस रहे हैं और क्या यहां मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड बनाना ज्यादा आसान है।
वे कहते हैं कि यदि दूसरे राज्यों से बड़ी संख्या में लोग आकर उत्तराखंड में बस रहे हैं तो इसके कारणों की जांच करना, इसका मूल्यांकन करना और इसके परिणामों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।
अनूप नौटियाल ने आशंका जताई है कि मतदाताओं की संख्या में इस बढ़ोत्तरी का संबंध अगले डेढ़ वर्ष में होने वाले स्थानीय नगर निकायों के चुनाव से भी हो सकता है। उत्तराखंड में आठ नगर निगम देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, ऋषिकेश, कोटद्वार, हल्द्वानी, काशीपुर और रुद्रपुर हैं। इनमें 420 पार्षद चुने जाने हैं।
वे कहते हैं कि इन्हीं आठ शहरों और उनके जिलों में मतदाताओं की संख्या में सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। इस बात पर ध्यान देने की ज़रूरत है की कहीं वोट बैंक मजबूत करने के लिए बाहर से लाकर लोगों को यहां बसाया जा रहा है । इन सब के साथ राजनीतिक कारणों के अलावा सामाजिक, धार्मिक या सुरक्षा कारणों से सुनियोजित तरीके से ऐसा किये जाने की संभावना भी हो सकती है।
अनूप नौटियाल के अनुसार 2022 के उत्तराखंड की वोटिंग सूची मे दर्ज 82.66 लाख वोटर और 15 से 18 आयु वर्ग के 6.28 लाख कोविड टीकाकरण के लाभार्थियों की जो संख्या दी गई है, उसे आधार माना जाए तो उत्तराखंड की अनुमानित जनसंख्या 1.35 करोड़ से ज्यादा है। इससे यह भी साबित होता है कि पिछले 10 वर्षों में राज्य की जनसंख्या में 35 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई है।
उन्होंने नीति निर्माण, शासन व्यवस्था और योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए जनसंख्या के सटीक आंकड़ों की भी जरूरत बताई है। रिपोर्ट को तैयार करने मे संस्था के विदुष पांडेय, प्रवीण उप्रेती और प्यारे लाल का सहयोग रहा।

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