नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए दिल्ली पर लगी कांग्रेसियों की निगाहें

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देहरादून। प्रदेश अध्यक्ष पद पर हाईकमान की खामोशी स्थानीय कांग्रेस नेताओं पर भारी पड़ रही है। 15 मार्च को निवर्तमान अध्यक्ष गणेश गोदियाल के इस्तीफे के बाद कांग्रेस में राजनीतिक गतिविधियां करीब करीब शून्य हो चुकी हैं। प्रदेश महामंत्री-संगठन मथुरादत्त जोशी कहते हैं पार्टी नेता लगातार हाईकमान के संपर्क में हैं। शीर्ष नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति को एक साथ करने के संकेत दिए हैं। जल्द ही आदेश हो सकते हैं। विधानसभा चुनाव 2022 के लिए लाया गया कार्यकारी अध्यक्षों का फार्मूला कांग्रेस अब शायह ही अपनाए। विधानसभा चुनाव में पंजाब और उत्तराखंड में यह फार्मूला बेअसर साबित हुआ है। राज्य के नेताओं ने भी हाईकमान को सुझाव दिया है कि जिसे भी प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा, उससे फ्रीहैंड होकर काम करने का अधिकार भी दिया जाए।उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष पर तस्वीर साफ हो जाएगी। सूत्रों के अनुसार शनिवार को दिल्ली में राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कुछ राज्यों के प्रभारियों के साथ बैठक की। इसमें उत्तराखंड के विषय पर भी चर्चा की गई है। विधानसभा चुनाव में हर क्षेत्र में प्रभावी भूमिका में दिखने के लिए कांग्रेस ने उत्तराखंड़ बड़ृा संगठनात्मक बदलाव किया था। 22 जुलाई को पूर्व विधायक गणेश गोदियाल को नया अध्यक्ष बनाते हुए उनके साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त कर दिए थे। टिकट न मिलने की वजह से निर्दलीय होकर चुनाव लड़ने को तैयार पूर्व मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण को भी पांचवा कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया था। इनमें केवल कार्यकारी अध्यक्ष भुवन कापड़ी ही कुछ चमत्कार कर पाए। कापड़ी ने सीएम पुष्कर सिंह धामी को हराया है।कापड़ी के साथ यूएसनगर से ही दूसरे कार्यकारी अध्यक्ष तिलकराज बेहड़ चुनाव जीत गए। लेकिन प्रदेश अध्यक्ष गोदियाल व दूसरे कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत सिंह रावत और प्रो. जीतराम चुनाव हार गए। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि छोटे राज्य में कार्यकारी अध्यक्षों का प्रयोग कारगर नहीं है।

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