बजट सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

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विनियोग विधेयक सहित चार अन्य संसोधन विधेयक हुए पारित
देहरादून। उत्तराखंड की पांचवी विधानसभा का चार दिवसीय बजट सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया है। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने विपक्ष एवं पक्ष के सभी सदस्यों को सहयोग के लिए धन्यवाद दिया है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेशहित एवं जनहित के अनेक विषयों पर सदन में दोनों दलों द्वारा शांति पूर्वक गंभीर चिंतन-मनन किया गया।
सत्र के अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने पत्रकारों को बताया कि चार दिवसीय बजट सत्र की कार्यवाही 22 घंटे 43 मिनट तक चली। सत्र के दौरान विधान सभा को 573 प्रश्न प्राप्त हुए, जिसमें स्वीकार किये प्रश्नों में से 14 अल्पसूचित प्रश्नों में से 4 का उत्तर दिया गया, जबकि 190 तारांकित सवालों में से 61 का उत्तर सदन में आया। इसी तरह विधायकों के द्वारा पूछे गये 339 आतारांकित प्रश्नों में से 165 का उत्तर सदन में आया। विधानसभा सचिवालय ने कुल 17 प्रश्नों को अस्वीकार कर दिया था 3 प्रश्न विचाराधीन रखे गए। इस सत्र में प्रस्तुत 9 याचिकाओं में से सभी याचिकाएं स्वीकृत की गई। इस सत्र के दौरान नियम 300 में प्राप्त 76 सूचनाओं में से 21 सूचनाएं स्वीकृत की गयी तथा 26 सूचनाएं ध्यानाकषर्ण के लिए स्वीकार की गयी। जबकि नियम-53 में 54 सूचनाओं में से 6 स्वीकृत एवं 20 ध्यानाकषर्ण के लिए रखी गई। नियम-58 में प्राप्त 32 सूचनाओं में 14 को स्वीकृत किया गया।
विपक्ष ने चार दिवसीय सत्र में काम रोको प्रस्ताव के तहत नियम-310  में 4 सूचना पीठ को दी, जिन्हें नियम 58 में परिवर्तित करने के बाद चर्चा की गयी। इस सत्र के दौरान जहां विनियोग विधेयक 2022 पारित होने के साथ ही उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक-2022,  उत्तराखण्ड अग्निशमन एवं आपात सेवा, अग्नि निवारण और अग्नि सुरक्षा (संशोधन) विधेयक-2022 व उत्तराखण्ड उद्यम एकल खिड़की सुगमता और अनुज्ञापन (संशोधन) विधेयक-2022 भी पारित किये गये। सत्र के दौरान प्रतिवेदन के रूप में आर्थिक सव्रेक्षण उत्तराखण्ड, वर्ष 2021- 22 खण्ड-1, उत्तराखण्ड मानव अधिकार आयोग द्वारा प्रस्तुत वाषिर्क विशेष रिपोर्ट, 2012-18 एवं 2018-19, महालेखापरीक्षक द्वारा प्रस्तुत उत्तराखण्ड सरकार के 31 मार्च, 2021 को समाप्त हुए वर्ष के लिए राज्य के वित्त पर लेखापरीक्षा प्रतिवेदन संख्या-1 वर्ष 2022 प्रस्तुत हुए। इसके साथ ही उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग का बीसवां वाषिर्क प्रतिवदेन (अवधि 01 अप्रैल, 2020 से 31 मार्च, 2021 तक) व उत्तराखण्ड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग 2005 की धारा 16 (2) के अन्तर्गत वर्ष 2017-18, वर्ष 2018-19 एवं वर्ष 2019-20 की वाषिर्क रिपोर्ट भी सदन में रखी गयी।

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