संकल्प करें कि भावी पीढ़ी को स्वच्छ पर्यावरण देंगे : धामी

हरेला पर्व को सुख, समृद्धि, शान्ति, पर्यावरण और प्रकृति संरक्षण के साथ ही सामाजिक सद्धभाव का पर्व बताया
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सराहनीय प्रयास करने वाले स्कूलों एवं वन पंचायतों को सम्मानित किया
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हरेला पर्व पर राज्य के प्रत्येक व्यक्ति को यह प्रतिज्ञा लेनी होगी कि हम प्राकृतिक धरोहर एवं विरासत को संरक्षित कर भावी पीढ़ी को स्वच्छ पर्यावरण देंगे। उन्होंने कहा कि हरेला पर्व सुख, समृद्धि, शान्ति, पर्यावरण और प्रकृति संरक्षण के साथ ही सामाजिक सद्धभाव का पर्व एवं ऋतु पर्वितन का भी सूचक है।मुख्यमंत्री रविवार को हरेला पर्व के अवसर पर अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कलेज, रायपुर में ‘जल संरक्षण एवं जल धाराओं के पुनर्जीवन’ थीम पर आयोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस दौरान मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मसूरी वन प्रभाग की रायपुर रेंज के अन्तर्गत भोपलपानी कक्ष सं. 8 में विभिन्न प्रजातियों  फाईकस, बेलपत्री, आम, बड, रूद्राक्ष, आंवला, अर्जुन, कन्जू, हरड़, बहेडा आदि के 500 पौधे लगाए और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सराहनीय प्रयास करने वाले स्कूलों एवं वन पंचायतों को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की शुभकामनाएं दी और सबके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दिवस प्रकृति व मानव के सह अस्तित्व को स्मरण करने व प्रकृति संरक्षण के हमारे पण्रको पुन: दोहराने का दिन है। उत्तराखण्ड प्राकृतिक रूप से समृद्ध राज्य है। हरेला एक ऐसा ही पर्व है, जो हमारी प्रकृति से निकटता को और अधिक प्रगाढ़ बनाता है। उन्होंने कहा कि  इस बार राज्य में हरेला पर्व की थीम जल संरक्षण एंव जल धाराओं का पुनर्जीवन निर्धारित किया गया है और जल संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में सभी को योगदान देना है।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने सर्कुलर इकोनमी पर काफी जोर दिया है। क्योंकि जल संरक्षण के क्षेत्र में भी सर्कुलर इकोनमी की बड़ी भूमिका है, जब ट्रीटेड जल को पुन: उपयोग किया जाता है, ताजा जल को संरक्षण किया जाता है तो उससे पूरे इकोसिस्टम को बहुत लाभ होगा। उन्होंने कहा कि राज्य की गैर हिम नदियों का ग्रीष्म कालीन प्रवाह बहुत कम रह गया है, जिसका प्रमुख कारण जलवायु परिवर्तन है। उत्तराखण्ड में अकेले पेयजल सैक्टर में जल की आवश्यकता की गणना की जाये, तो वर्ष 2052 की सम्भावित जल की मांग लगभग 1980 एमएलडी आंकी गयी है, जो कि लगभग 23 क्यूमेक है। राज्य में मांग के सापेक्ष शतही श्रोतों पर आधारित मांग 70 प्रतिशत है, जो कि लगभग 1400 एमएलडी ही है। कई विभागों द्वारा स्प्रिंगोड सोर्स रिजूनिवेशन, कैचमेन्ट एरिया, सोर्स सस्टेनबलिटी, चाल-खाल, चौक डैम, कन्टूर ट्रैन्च आदि के कार्य कराये जा रहे है, जिसके अच्छे परिणाम भी सामने आये है। ऐसे में पूरे प्रदेश में एक मॉडल प्लान तैयार कर कार्य किये जाने की आवश्यकता है। इंडस्ट्री और खेती दो ऐसे क्षेत्र हैं, जिसमें पानी की आवश्यकता अत्यधिक होती है, इन दोनों क्षेत्रों को मिल कर जल संरक्षण अभियान चलाना होगा और लोगों को जागरूक करना होगा।

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि हरेला पर्व के उपलक्ष्य में इस वर्ष प्रदेश में 8 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। यह अभियान 15 अगस्त तक चलेगा। वुक्षारोपण के साथ ही उनके संरक्षण की दिशा में विशेष ध्यान दिया जायेगा। जिस सेक्टर में वृक्षों का सक्सेस रेट सबसे अधिक होगा, उस सेक्टर के वन दरोगा को सम्मानित किया जायेगा। 15 अगस्त को 1750 गांवों में 75-75 पेड़ लगाये जायेंगे। वन मंत्री ने कहा कि जल ’श्रोतों के पुनर्जीवन की दिशा में भी विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने सभी प्रदेशवासियों से अपील की कि पर्यावरण के संरक्षण में सभी को एकजुट होकर कार्य करना होगा। उन्होंने अपील की कि पौधे लगाकर सेल्फी विद प्लांट पोस्ट करें, जिससे हम अपनी भावी पीढ़ी को बता सकें कि हमने पर्यावरण संरक्षण के लिए क्या योगदान दिया।

प्रमुख सचिव वन, आरके सुधांशु ने प्रदेशभर में साइकलिंग ट्रैक बनाने की बात कही ।  अनुप मलिक, प्रमुख वन संरक्षक ने  कहा कि वृक्षारोपण कार्यक्रम पूरे प्रदेश में किया जा रहा है और 15 अगस्त 2023 को समापन के दिन 45 वन प्रभागों में लगभग 7.11 लाख पौधों का रोपण किया जाएगा।

इस अवसर पर सांसद श्रीमती माला राज्यलक्ष्मी शाह, विधायक उमेश शर्मा काऊ, मेयर सुनील उनियाल गामा, धनंजयमोहन अध्यक्ष उत्तराखण्ड जैव विविधता बोर्ड, डॉ समीर सिन्हा मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक,  सुशान्त पटनायक सदस्य सचिव उत्तराखण्ड प्रदुषण नियंतण्रबोर्ड, नरेश कुमार मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल, ड विनय भार्गव वन संरक्षक यमुना, राजीव धीमान वन सरंक्षक शिवालिक, वैभव कुमार प्रभागीय वनाधिकारी मसूरी, उदय गौड़ उप प्रभागीय वनाधिकारी मसूरी, राकेश नेगी, वन क्षेत्राधिकारी रायपुर, जन प्रतिनिधि, विभागीय अधिकारी, कर्मचारी एवं विभिन्न विद्यालयों से आये शिक्षक एवं छात्र छात्राएं उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *