हिमालय की इकोलॉजी, जनसंख्या धनत्व, फ्लोटिंग पॉपुलेशन व पर्यावरणीय संवेदनशीलता को देख विकास का मॉडल बने
नई दिल्ली/देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आजादी के अमृत काल के लिए आगामी 25 वर्ष की योजना बनाना भी उत्तराखंड की प्राथमिकता है। रविवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की शासी परिषद की 7 वीं बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की अपेक्षा के अनुसार 21वीं शताब्दी के तीसरे दशक को उत्तराखंड का दशक बनाने के लिये राज्य सरकार ने आदर्श उत्तराखंड 2025 को अपना मंत्र बना त्वरित गति से काम शुरू किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति आयोग द्वारा हिमालयी राज्यों में, यहां की इकोलॉजी, जनसंख्या धनत्व, फ्लोटिंग पॉपुलेशन व पर्यावरणीय संवेदनशीलता को देखते हुए ही विकास का मॉडल बनाया जाए, जो विज्ञान-प्रौद्योगिकी पर आधारित हो। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हिमालयी राज्यों के लिए एक विशेष गोष्ठी का आयोजन किया जाए। मुख्यमंत्री ने इसका आयोजन उत्तराखंड में करने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में फ्लोटिंग जनसंख्या का दबाव अवस्थापना सुविधाओं पर पड़ता है। इस वर्ष अब तक लगभग 30 लाख चारधाम यात्री तथा चार करोड़ से अधिक कांवड़ियों का आवागमन राज्य में हुआ है व इस संख्या में निरन्तर वृद्धि होने की सम्भावनायें अत्यन्त प्रबल हैं। राज्य की अधिकांश स्थानीय निकायों का आकार एवं उनके वित्तीय संसाधन काफी कम है। इसलिए केन्द्र सरकार द्वारा वित्तीय संसाधनों के हस्तांतरण में इस महत्वपूर्ण तथ्य को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। राज्य में 4457 को-लोकेटेड आंगनवाड़ी केन्द्रों में बालवाटिकाएं प्रारम्भ हो चुकी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुपालन हेतु विभिन्न कार्यक्रम जैसे ‘‘प्रवेशोत्सव’’, ‘‘आरोही’’, ’’कौशलम्‘‘, ’’आनन्दम्‘‘, ’’विद्या सेतु‘‘ आदि संचालित किये जा रहे हैं। ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केन्द्रीय स्टूडियो तथा राज्य के समस्त 13 जनपदों के 500 विद्यालयों में वचरुअल क्लास रूम की स्थापना की जा चुकी है। 200 विद्यालयों में 08 व्यावसायिक शिक्षा पाठय़क्रम भी प्रारम्भ कर दिये गये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा में भी राज्य में शैक्षणिक सत्र 2022-23 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू कर दिया गया है। विद्यार्थियों को भारतीय संस्ति व इंडियन नलेज सिस्टम से परिचित कराने के उद्देश्य से वैदिक विज्ञान, वैदिक गणित व भगवत गीता से प्रबन्धन परिचय जैसे विषयों को सह-पाठय़क्रम के रूप में लागू किया गया है। उच्च शिक्षा के अर्न्तगत राज्य में कुल 108 पाठय़क्रम आनलाईन एवं ओपन डिस्टेन्स लनिर्ंग माध्यम से संचालित किये जा रहे हैं। केदारनाथ, बद्रीनाथ एवं अन्य धार्मिक एवं पर्यटक स्थलों पर तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों की अत्यधिक आवाजाही के कारण पाकिर्ंग की गम्भीर समस्या रहती है। इसके समाधान के लिए पहाड़ों में अंडरग्राउंड कैविटी पाकिर्ंग की शुरूआत की गई है, जिससे बाहर से पहाड़- पेड़ कटान एवं पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होगा तथा पहाड़ के अन्दर केविटी बनाकर पाकिर्ंग की स्थापना की जाएगी।राज्य से डेनमार्क को मिलेट का निर्यात प्रारंभ
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य से डेनमार्क को मिलेट का निर्यात प्रारम्भ किया गया है। राज्य में 38,500 हैक्टेयर क्षेत्रफल में मिलेट एवं पौष्टिक अनाज फसलों का जैविक उत्पादन किया जा रहा है। 6400 हैक्टेयर क्षेत्रफल में प्राकृतिक खेती के लिये क्लस्टर चयन की कार्यवाही पूर्ण कर ली गयी है। ने कहा कि राज्य में कृषि विविधिकरण की अपार सम्भावनायें हैं। मंडुआ, झिंगोरा, मादिरा, रामदाना, पर्वतीय दलहन जैसे गहथ, राजमा आदि तथा संगध एवं औषधीय पौधों को निरन्तर बढ़ावा दिया जा रहा है। सेब तथा उच्च मूल्य वाले कीवी फल के क्षेत्रफल और खाद्य प्रसंस्करण क्षमता को विस्तारित किया जा रहा है।
नई दिल्ली/देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आजादी के अमृत काल के लिए आगामी 25 वर्ष की योजना बनाना भी उत्तराखंड की प्राथमिकता है। रविवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की शासी परिषद की 7 वीं बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की अपेक्षा के अनुसार 21वीं शताब्दी के तीसरे दशक को उत्तराखंड का दशक बनाने के लिये राज्य सरकार ने आदर्श उत्तराखंड 2025 को अपना मंत्र बना त्वरित गति से काम शुरू किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति आयोग द्वारा हिमालयी राज्यों में, यहां की इकोलॉजी, जनसंख्या धनत्व, फ्लोटिंग पॉपुलेशन व पर्यावरणीय संवेदनशीलता को देखते हुए ही विकास का मॉडल बनाया जाए, जो विज्ञान-प्रौद्योगिकी पर आधारित हो। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हिमालयी राज्यों के लिए एक विशेष गोष्ठी का आयोजन किया जाए। मुख्यमंत्री ने इसका आयोजन उत्तराखंड में करने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में फ्लोटिंग जनसंख्या का दबाव अवस्थापना सुविधाओं पर पड़ता है। इस वर्ष अब तक लगभग 30 लाख चारधाम यात्री तथा चार करोड़ से अधिक कांवड़ियों का आवागमन राज्य में हुआ है व इस संख्या में निरन्तर वृद्धि होने की सम्भावनायें अत्यन्त प्रबल हैं। राज्य की अधिकांश स्थानीय निकायों का आकार एवं उनके वित्तीय संसाधन काफी कम है। इसलिए केन्द्र सरकार द्वारा वित्तीय संसाधनों के हस्तांतरण में इस महत्वपूर्ण तथ्य को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। राज्य में 4457 को-लोकेटेड आंगनवाड़ी केन्द्रों में बालवाटिकाएं प्रारम्भ हो चुकी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुपालन हेतु विभिन्न कार्यक्रम जैसे ‘‘प्रवेशोत्सव’’, ‘‘आरोही’’, ’’कौशलम्‘‘, ’’आनन्दम्‘‘, ’’विद्या सेतु‘‘ आदि संचालित किये जा रहे हैं। ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केन्द्रीय स्टूडियो तथा राज्य के समस्त 13 जनपदों के 500 विद्यालयों में वचरुअल क्लास रूम की स्थापना की जा चुकी है। 200 विद्यालयों में 08 व्यावसायिक शिक्षा पाठय़क्रम भी प्रारम्भ कर दिये गये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा में भी राज्य में शैक्षणिक सत्र 2022-23 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू कर दिया गया है। विद्यार्थियों को भारतीय संस्ति व इंडियन नलेज सिस्टम से परिचित कराने के उद्देश्य से वैदिक विज्ञान, वैदिक गणित व भगवत गीता से प्रबन्धन परिचय जैसे विषयों को सह-पाठय़क्रम के रूप में लागू किया गया है। उच्च शिक्षा के अर्न्तगत राज्य में कुल 108 पाठय़क्रम आनलाईन एवं ओपन डिस्टेन्स लनिर्ंग माध्यम से संचालित किये जा रहे हैं। केदारनाथ, बद्रीनाथ एवं अन्य धार्मिक एवं पर्यटक स्थलों पर तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों की अत्यधिक आवाजाही के कारण पाकिर्ंग की गम्भीर समस्या रहती है। इसके समाधान के लिए पहाड़ों में अंडरग्राउंड कैविटी पाकिर्ंग की शुरूआत की गई है, जिससे बाहर से पहाड़- पेड़ कटान एवं पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होगा तथा पहाड़ के अन्दर केविटी बनाकर पाकिर्ंग की स्थापना की जाएगी।राज्य से डेनमार्क को मिलेट का निर्यात प्रारंभ
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य से डेनमार्क को मिलेट का निर्यात प्रारम्भ किया गया है। राज्य में 38,500 हैक्टेयर क्षेत्रफल में मिलेट एवं पौष्टिक अनाज फसलों का जैविक उत्पादन किया जा रहा है। 6400 हैक्टेयर क्षेत्रफल में प्राकृतिक खेती के लिये क्लस्टर चयन की कार्यवाही पूर्ण कर ली गयी है। ने कहा कि राज्य में कृषि विविधिकरण की अपार सम्भावनायें हैं। मंडुआ, झिंगोरा, मादिरा, रामदाना, पर्वतीय दलहन जैसे गहथ, राजमा आदि तथा संगध एवं औषधीय पौधों को निरन्तर बढ़ावा दिया जा रहा है। सेब तथा उच्च मूल्य वाले कीवी फल के क्षेत्रफल और खाद्य प्रसंस्करण क्षमता को विस्तारित किया जा रहा है।