पेपर लीक मामले में कांग्रेस ने की आयोग की घेराबंदी

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देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग की स्‍नातकीय परीक्षा में पेपर लीक का मामला सामने आने के बाद अब कांग्रेस ने आयोग को घेरा है।  कांग्रेस का कहना है कि  पूरे प्रदेश में परीक्षा कराने वाली एजेंसी की भूमिका भी हर परीक्षा में संदिग्ध है। आयोग की सभी भर्तियों की सीबीआई जांच कराई जाए।
सोमवार को राजपुर रोड स्थित कांग्रेस भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग में सभी भर्ती परीक्षाओं में पेपर छपते समय लीक होने की बात लगातार सामने आ रही है।
इससे यह प्रतीत होता है कि आयोग के जिम्मेदार लोग अपने कर्तव्यों का सही ढंग से निर्वाह नहीं कर रहे थे, क्योंकि पेपर छपने की गोपनीयता एवं सुरक्षा की पूर्ण जिम्मेदारी अध्यक्ष और सचिव की थी। उन पर तत्काल प्रभाव से लापरवाही करने के लिए पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में सरकारों द्वारा परीक्षाओं में गड़बड़ी करने के कारण एजेंसी पर प्रतिबंध लगाया गया और ब्लैक लिस्टेड किया गया था। उत्तर प्रदेश के थाने में उपयुक्त एजेंसी पर अभियोग पंजीकृत है। इसी प्रकार उत्तराखंड में भी जिम्मेदार लोगों पर एसटीएफ को अभियोग दर्ज करना चाहि इस दौरान विधायक भुवन कापड़ी ने आरोप लगाया कि आरोपित हाकम सिंह के साथ राज्य के पुलिस के बड़े-बड़े अधिकारियों, प्रशासन के अधिकारियों और भाजपा के मंत्री व नेताओं के फोटो रोज इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। जिससे प्रदेश के युवाओं का मनोबल निरंतर गिर रहा है।
क्योंकि एसटीएफ राज्य सरकार के अधीन काम करने वाली संस्था है, उसके अधिकार भी राज्य में सीमित हैं तो आप समझ सकते हैं कि आगे एसटीएफ की जांच किस प्रकार चलेगी। राज्य एजेंसी होने के कारण उनकी जांच को प्रभावित किया जा सकता है। वहीं अब पेपर लीक का मामला उत्तर प्रदेश से भी जुड़ चुका है।
लगातार गिरफ्तारियां हो रही हैं। ऐसे में एसटीएफ का दूसरे राज्य में जांच करना संभव नहीं होगा। अतः हम राज्य सरकार से मांग कर मांग करते हैं। अगर वह उत्तराखंड के युवाओं के भविष्य के लिए चिंतित है तो चयन आयोग की सभी भर्तियों की सीबीआई जांच कराई जाए।
दोषियों की संपत्तियां जो कि भर्ती गड़बड़ी से अर्जित की गई हैं उनको जब्त किया जाए। मुख्य अपराधियों पर रासुका लगा कर प्रदेश में युवाओं के सामने एक नजीर पेश की जाए। जिससे कि भविष्य में कोई भी उत्तराखंड के युवाओं के रोजगार पर डाका ना डाल सकें।

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